प्रिंस बिस्मार्क से एक बार पूछा गया था कि “आप मनुष्य को छोड़कर किस योनि में जन्म लेना पसंद करेंगे, तो उन्होंने कहा था- चींटी, क्योंकि उसका जीवन सर्वाधिक अनुशासनबद्ध होता है। चींटियों का जीवन अनुशासन का अनमोल उदाहरण है।
अनुशासनरहित मनुष्य अपने जीवन में अजीबो-गरीब हरकत करता है। यह कहानी 45 वर्षीय अनुशासनहीन पुत्रवधू “ज्योति” और 75 वर्षीय ससुर “जीवन” की है (दोनों नाम काल्पनिक है)। जीवन के एक पुत्र और एक पुत्री है। पुत्र की शादी लगभग 35 वर्ष पूर्व हुई थी। शादी के कुछ दिनों के अंदर ही जीवन ने अनुभव किया कि ज्योति परिवार के सदस्यों को बताए बिना ही मायके चली जाती है। एक दिन जीवन, ज्योति से बोला कि “तुम मायके चली जाती हो कोई बात नहीं है, परंतु परिवार के किसी सदस्य से बताए बिना चली जाती हो यह पारिवारिक अनुशासन के विपरीत है”। ज्योति, जीवन की बातों को इस कान से सुनी और उस कान से निकाल दी । एक दिन, जीवन ने परिवार के सभी सदस्यों की एक मीटिंग बुलाई, जिसमें ज्योति भी थी। ज्योति को इस बात की हिदायत दी गई कि वह घर की पुत्रवधू है उसपर परिवार को बांधकर रखने की बड़ी महत्वपूर्ण जवाबदेही है। उससे कहा गया कि आप कही भी जाएं, परिवार के सदस्यों में से किसी एक को जरूर बता कर जाएं। जीवन के इस आग्रह को ज्योति अपनी स्वतंत्रता पर आघात के रूप मेँ लिया। ज्योति का व्यवहार और बदलता चला गया। और कुछ ही दिनों में ज्योति और जीवन का किचन भी अलग हो गया। जीवन, जीवन की पत्नी और जीवन की पुत्री का भोजन एक साथ और ज्योति और उसके पति का एक साथ बनने लगा। समय के साथ जीवन की पुत्री की भी शादी हो गई। ज्योति के स्वभाव के कारण जीवन का दामाद ससुराल नहीं आता है, जीवन की पुत्री कभी-कभी अपने मायके आ जाया करती है। किचन अलग हो जाने, अपने सास-ससुर, ननद से अलग हो जाने के बाद भी ज्योति का मन शांत नहीं हुआ है।
“जीवन” को शाम में टहलने की आदत है। उसे अपने कमरा से निकलने के लिए एक पतली सी गैलरी होकर बाहर जाना पड़ता है, वह गैलरी कॉमन है, यानि जीवन और ज्योति दोनों के लिए अपने-अपने कमरा से बाहर निकालने का वही एक रास्ता है। जीवन प्रत्येक दिन उसी गैलरी से होकर टहलने जाता है। ज्योति हालाँकि पढ़ी-लिखी महिला है परंतु वह अजीबो-गरीब हरकत करती है। एक दिन की घटना है, प्रत्येक दिन की भांति उस दिन भी जीवन टहलने के लिए निकलता है। ज्योति उसके लौटने का इंतजार कर रही थी। कुछ-कुछ अंधेरा हो गया था और जीवन की आखों की रोशनी भी कमजोर पड़ गई है। अब जीवन के लौटने का समय हो गया है। ज्योति उस गैलरी में एक पतली सी चौकी रख देती है और गैलरी की लाइट ऑफ कर देती है। जीवन जिस समय टहलने निकला था उस समय तो गैलरी में कुछ नहीं था, उसने सोचा भी नहीं था कि गैलरी में चौकी हो सकता है। वह चौकी से टकराता है और गिर जाता है। ज्योति दूर से बोलती है “बुड्ढा का दिमाग के साथ-साथ आँख भी खराब हो गया है”। जीवन सब कुछ समझ जाता है, वह कल्ह होकर ज्योति से उस चौकी को हटाने के लिए कहता है, परंतु ज्योति चौकी हटाने से इंकार कर देती है।
जीवन ट्रस्ट के कार्यालय में आकर अपनी पीड़ा सुनाता है और निदान का उपाय पूछता है। जीवन की एक ही मांग है कि गैलरी से चौकी हट जाये।
ट्रस्ट ज्योति का फोन नंबर की मांग करता है। जीवन ट्रस्ट को फोन संख्या उपलब्ध करता है।
प्रस्तुत है ट्रस्ट और ज्योति के बीच बात-चीत का अंश।
ट्रस्ट:- आप ज्योति बोल रही है?
ज्योति: – जी हाँ, आप कौन?
ट्रस्ट:- अपना परिचय देता है।
ज्योति: – जी हाँ, बताइये क्या बात है।
ट्रस्ट:- जीवन आपके ससुर है?
ज्योति: – जी हाँ।
ट्रस्ट:- आप अपने कमरा से बाहर निकालने वाली गली में चौकी रख दी है?
ज्योति: – कुछ नहीं बोलती है। शायद समझ रही है कि मामला कुछ गंभीर है।
ट्रस्ट:- आप उसे हटाना चाहती है या नहीं?
ज्योति: – आपको यह बात किसने बताई?
ट्रस्ट:- जीवन ने।
ज्योति: – चौकी तो मैं अपने हिस्से वाली जगह पर रखी हूँ।
ट्रस्ट:- आप कानून की स्थिति समझना चाहेंगी?
ज्योति: – बताइये।
ट्रस्ट:- Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizen Act 2007 की धारा 24 के तहत आपका उक्त कार्य अपराध है और आपको उक्त कार्य के लिए 03 माह की सजा और 5000 रुपया तक का जुर्माना हो सकता है।
ज्योति: – आप मुझे धमकी दे रहे है।
ट्रस्ट:- नहीं, मैं आपको चेतावनी दे रहा हूँ।
ज्योति: – ज्योति फोन काट देती है।
हालाँकि ज्योति चौकी हटा लेती है। लगभग 02 माह बीत गये ज्योति द्वारा उक्त गैलरी में चौकी नहीं रखा गया है।
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