बहू को है सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार – सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,
Civil Appeal No. 2483/2020
Arising out of SLP ( C ) No. 1048/2020
Satish Chandra Ahuja …………………………………………… Appellant
Versus
Sneha Ahuja …………………………………………..……… Respondent
Date of Judgement 15.10.2020
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बहू को अपने पति के माता-पिता के घर में रहने का अधिकार है। यह ऐतिहासिक फैसला आज सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक सौ एकावन पेज के फैसले में घरेलू हिंसा कानून 2005 का हवाला देते हुए कई बातें स्पष्ट की है।
विषय-वस्तु : –
श्री सतीश चंद्र आहूजा (ससुर) नें दिनांक 12.01.1983 के निबंधित विक्रय – पत्र द्वारा नई दिल्ली में एक प्रॉपर्टी खरीदी थी। सतीश चंद्र आहूजा के पुत्र का नाम रावीण आहूजा (पति) था जिसकी शादी स्नेहा आहूजा (पत्नी) के साथ हुई थी। पति-पत्नी के बीच विवाद होने के कारण पति ने पत्नी के विरुद्ध दिनांक 28.11.2014 को तलाक का वाद प्रस्तुत किया था। पत्नी ने दिनांक 20.11.2015 को घरेलू हिंसा कानून 2005 के तहत वाद प्रस्तुत किया। माननीय मुख्य मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रैट नें उक्त भूमि और मकान जिसमें पत्नी रह रही थी, को न बेचने और पत्नी को घर से नहीं निकालने का आदेश पारी किया।
इसी बीच ससुर नें उक्त भूमि और मकान के विरुद्ध स्वत्व वाद प्रस्तुत किया। ससुर का कथन था वे 76 वर्ष के बुजुर्ग हृदय रोग से ग्रसित व्यक्ति है। उक्त भूमि उनकी अर्जित भूमि है अतः उसमें उनके पुत्र-वधू को रहने का कोई हक नहीं है। विचारण न्यायालय ने वादी (ससुर) के पक्ष में फैसला दिया और पूतोहू को घर से निकालने का आदेश दिया। अपील करने पर दिल्ली उच्च न्यायालय नें वाद को पुनः विचारण के लिए विचारण न्यायालय को वापस कर दिया। ससुर नें दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा वाद को विचारण न्यायालय को पुनः विचारण हेतु पारित आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत किया।
गौरतलब है कि सर्वोच्चय न्यायालय नें तरुण बत्रा मामले में दो जजों की बेंच ने कहा था कि कानून में बेटियां, अपने पति के माता-पिता के स्वामित्व वाली संपत्ति में नहीं रह सकती हैं। अब तीन सदस्यीय पीठ ने तरुण बत्रा के फैसले को पलटते हुए 6-7 सवालों के जवाब दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि पति की अलग-अलग संपत्ति में ही नहीं, बल्कि साझा घर में भी बहू का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बहू को अपने पति के माता-पिता के घर में रहने का अधिकार है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने तरुण बत्रा मामले में दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को पलट दिया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि परिवार की साझा संपत्ति और रिहायशी घर में भी घरेलू हिंसा की शिकार पत्नी को हक मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत दिए अपने फैसले में साफ कहा है कि पीड़ित पत्नी को अपने ससुराल की पैतृक और साझा संपत्ति यानी घर में रहने का कानूनी अधिकार होगा। पति की अर्जित की हुए संपत्ति यानि अलग से बनाए हुए घर पर तो अधिकार होगा ही। इस प्रकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने श्री सतीश चंद्र आहूजा (ससुर) के अपील को निरस्त कर दिया ।
दिलीप कुमार
अधिवक्ता
For detail Judgement Kindly Click the link below:-
https://main.sci.gov.in/supremecourt/2020/689/689_2020_37_1501_24378_Judgement_15-Oct-2020.pdf
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