W.P (C) 2761/2020
Sandeep Gulati …………………………………………….………………… Petitioner
Versus
Divisional Commissioner NCT Delhi & others ……………. ….. Respondents
Date of Judgement: – 13.03.2020
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिता और बेटे के बीच संपत्ति विवाद में एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टीस नवीन चावला की एकल पीठ ने कहा कि बुजुर्ग पिता को यह अधिकार है कि वह बेटे, बेटी या कानूनी वारिस को जब चाहे घर से बाहर निकाल सकता है। न्यायपीठ ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि इससे कोई फ़र्क नही पड़ता कि संपत्ति पैतृक है या बुजुर्ग की स्वअर्जित। न्यायपीठ द्वारा स्पष्ट किया गया कि बुजुर्ग पिता को यह भी साबित करने की जरूरत नही है कि उसके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है।
दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश के इस मामले में बुजुर्ग पिता ने बेटे से परेशान होकर उसे घर से निकालने के लीये कोर्ट में केस किया था। कोर्ट ने बुजुर्ग के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसे बेटा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जहां उसके विरुद्ध यह फैसला सुनाया गया।
बेटे की दलील थी कि वह घर जिससे निकालने का आदेश निचली न्यायालय द्वारा दी गई है वह संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति है। पिता की तरह पुत्र भी उक्त संपत्ति पर सह हिस्सेदार है, क्योंकि ये संपत्ति पैतृक है। अतः पिता अपने को इस घर से नही निकाल सकता है। बेटा द्वारा यह दलील भी दिया गया कि वह अपने पिता के साथ कोई दुर्व्यवहार नही किया हैं।
कोर्ट नें स्पष्ट किया कि बुजुर्ग नागरिकों को अपने बच्चों को घर से निकालने का अधिकार है, भले ही संपत्ति पैतृक ही क्यों न हो। कोर्ट ने पुनः कहा कि जो बुजुर्ग अपने बच्चों को घर से निकालने चाहते है, उन्हें दुर्व्यवहार साबित करने की जरूरत नही है।
सम्पूर्ण निर्णय के लिए नीचे लिंक को क्लिक करे।
http://164.100.69.66/jupload/dhc/NAC/judgement/16-03-2020/NAC13032020CW27612020_182924.pdf
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