Dispute-Eater
Run and managed by
Ram Yatan Sharma Memorial Trust
Muzaffarpur, Bihar.
Full Stop No. 17/2025
(Property – Dispute)
Date of Compromise- 10.04.2025
Court Case Details: – Not Applicable
Name of the Court: – Not Applicable
Case No. :- Pre- Judicial Conflict.
Nature of Dispute: – Property Dispute
Name and full address of the First Party: – श्रीमती कुमारी संजना, उम्र लगभग 48 वर्ष, पति – श्री अवनीश कुमार ‘राजू’, निवासी ग्राम रतनपुर भरजा, पोस्ट- कलौंजर, थाना चकमेहसी जिला समस्तीपुर वर्तमान निवासी सरस्वती विहार कॉलोनी, कन्हौली विशुनदत्त, वार्ड नंबर– 47, पोस्ट – रमना, थाना – मिठनपुरा, जिला – मुजफ्फरपुर, मोबाईल संख्या xxx922xx13
Name and Full Address of the Second Party: –
Full Address – श्रीमती मीरा कुमारी, उम्र लगभग 50 वर्ष, पति – श्री वसंत कुमार ठाकुर, निवासी ग्राम पोस्ट तेपरी, वॉर्ड संख्या 10, थाना पिअर जिला मुजफ्फरपुर वर्तमान निवासी मुहल्ला सरस्वती विहार कॉलोनी, कन्हौली विशुनदत्त, वार्ड नंबर–47, पोस्ट – रमना, थाना – मिठनपुरा, जिला – मुजफ्फरपुर पिन- 842002, मोबाईल संख्या 7xx4942xx2
Full Stop No. 17/2025
डिस्प्यूट-ईटर ने अब तक सैकड़ों मामलों का सफल समाधान करते हुए विवादों को अंतिम रूप तक पहुंचाने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। लेकिन इस विशेष मामले की अहमियत कुछ अधिक है। यह विवाद डिस्प्यूट-ईटर के कार्यालय के नजदीक स्थित दो सगी ननद और भौजाई के बीच था, जिनके बीच भूमि के रास्ते को लेकर गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए थे।
मामला क्या था?
दिनांक 02.12.2009 को दोनों पक्षों (पहला पक्ष और दूसरा पक्ष) ने एक निबंधित विक्रय-पत्र (दस्तावेज संख्या 27992) के माध्यम से कन्हौली विशुनदत्त, अंचल मुशहरी, थाना मिठनपुरा, थाना संख्या 411, जिला मुजफ्फरपुर स्थित भूमि को खरीदा था। भूमि का खाता संख्या 360 और खेसरा संख्या 2006 था, जिसका क्षेत्रफल 6.3 डिसमिल था। इस भूमि को श्री आलोक कुमार (पुत्र मोहन प्रसाद) से खरीदी गई थी। भूमि खरीदने के बाद दोनों पक्षों ने अपने-अपने घर बनाए। प्रथम पक्ष ने दक्षिणी दिशा में अपना मकान बनाया, जबकि द्वितीय पक्ष ने उत्तर दिशा में अपना घर बनाया।
रास्ते को लेकर विवाद
दोनों पक्षों का घर से बाहर निकलने का एक ही रास्ता था। यह रास्ता विवाद का मुख्य कारण बन गया और दोनों पक्षों के बीच लगातार संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई। विवाद इतना बढ़ गया कि कई बार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की मदद ली गई। इसके बाद, अंचल अमीन मुशहरी द्वारा भूमि की दो बार पैमाइश भी कराई गई। पहली बार नापी वाद संख्या-212 दिनांक 07.08.2024 को और दूसरी बार नापी वाद संख्या-288 दिनांक 20.12.2024 को की गई।
विवाद का समाधान: डिस्प्यूट-ईटर की पहल।
मामला बढ़ते-बढ़ते गंभीर हो गया, जिससे इसे शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए डिस्प्यूट-ईटर की भूमिका अहम हो गई। चूंकि मामला डिस्प्यूट-ईटर के कार्यालय के नजदीक था, इसलिए विवाद को सुलझाने के लिए डिस्प्यूट-ईटर ने व्यक्तिगत रूप से दोनों पक्षों से मुलाकात करने की योजना बनाई।
पहला कदम: –
डिस्प्यूट-ईटर ने सबसे पहले प्रथम पक्ष से मुलाकात की और उनकी काउंसलिंग की। अब समस्या दूसरे पक्ष से मिलने और बात करने की थी। द्वितीय पक्ष अपने पैतृक निवास जो ग्राम तेपरी थाना पीयर जिला मुजफ्फरपुर में स्थित है, स्थाई रूप से वही रहते है और जरूरत पड़ने पर मुजफ्फरपुर आते है। “डिस्प्यूट-ईटर” द्वारा उनके ग्रामीण श्री राम भुवन ठाकुर से संपर्क किया और उनके द्वारा द्वितीय पक्ष तक पहुंचा। श्री राम भुवन ठाकुर के प्रयास से द्वितीय पक्ष को डिस्प्यूट-ईटर के कार्यालय में आने के लिए प्रेरित किया और द्वितीय पक्ष कार्यालय में आने पर सहमति प्रदान किया।
पहली बैठक :-
दूसरे पक्ष के सदस्य अपने पति के साथ निर्धारित समय पर डिस्प्यूट-ईटर के कार्यालय में आए और उनकी भी काउंसलिंग की गई। द्वितीय पक्ष ने रास्ते के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए और पिलर तोड़ने की बात की,
दूसरी बैठक दिनांक 28.03.2025 :-
इसके बाद, प्रथम पक्ष को भी पुनः बुलाया गया और उनका पक्ष भी सुना गया। प्रथम पक्ष ने पिलर तोड़ने में आपत्ति जताई, परंतु काँसेलिंग करने पर वे पिलद तोरने पर सहमत हो गए। लेकिन उन्होंने 5½ फिट के रास्ते पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि द्वितीय पक्ष पहले से ही अधिक भूमि पर कब्जा किए हुए है, और वे किसी भी स्थिति में रास्ते पर समझौता करने को तैयार नहीं थे।
इसके बाद दोनों पक्षों से बारी-बारी से लगभग 06 बार बैठक की गई, तत्पश्चात दोनों पक्ष दोनों पसख लगभग सभी विंदुओं पर सहमत हो गए। दोनों पक्षों की संयुक्त बैठक के लिए दिनांक 10.04.2025 की तिथि निश्चित की गई।
10 अप्रैल 2025 को समाधान की दिशा में अंतिम कदम:-
दोनों पक्षों के विवाद को समाप्त करने के लिए, 10 अप्रैल 2025 को राम यतन शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा संचालित “डिस्प्यूट-ईटर” के कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में दोनों पक्षों के अलावा, पहले पक्ष के पति श्री अवनीश कुमार राजू, और दूसरे पक्ष के पति श्री वसंत कुमार ठाकुर भी उपस्थित हुए। बैठक में स्थानीय निवासी श्री ध्रुव कुमार झा और श्री मुकेश कुमार भी उपस्थित थे।
निष्कर्ष
डिस्प्यूट-ईटर की निष्पक्षता और संवेदनशीलता ने न केवल इस जटिल विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया, बल्कि दोनों पक्षों के रिश्ते को भी फिर से मजबूत कर दिया। इस प्रक्रिया के दौरान, दोनों पक्षों ने अपनी शिकायतों का समाधान किया और एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश की।
इस प्रकार, विवाद को पूरी तरह से समाप्त करते हुए दोनों पक्षों के बीच का विवाद पूर्ण विराम तक पहुंचा। इस मामले में डिस्प्यूट-ईटर ने यह साबित कर दिया कि सही दिशा में सही प्रयास और संवाद से किसी भी विवाद को शांति से हल किया जा सकता है।
दोनों पक्षों के बीच एक समझौता – पत्र भी तैयार हुआ जो इस प्रकार है:-
- रास्ते का समायोजन:- वर्तमान में दोनों पक्षों को अपने-अपने घर से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है, जिसके पूरब में 12 फीट चौड़ा लोहे का गेट लगा हुआ है। प्रथम पक्ष इस गेट को 5½ फीट पीछे हटाकर लगाएंगे, जिससे रास्ता अधिक व्यवस्थित और सुविधाजनक हो सके।
- बाउंड्रीवाल निर्माण:- द्वितीय पक्ष रास्ते के लिए छोड़ी गई भूमि के पूरब से 5½ फीट के अंदर और दक्षिण से 12 फीट के बाद अपनी बाउंड्रीवाल खड़ी करेंगे, जिससे स्पष्ट विभाजन हो सके और भविष्य में किसी भी प्रकार का विवाद न हो। यदि प्रथम पक्ष बाउंड्रीवाल का निर्माण करना चाहें तो वे पूरब से 5½ फीट के बाद बाउंड्रीवाल निर्माण कराने के लिए स्वतंत्र होंगे। दोनों पक्षों के बीच यह भी सहमति बनी है कि द्वितीय पक्ष बाउंड्रीवाल का निर्माण कम से कम 1-1½ इंच भूमि छोड़कर ही कराएंगे ताकि प्लास्टर के समय विवाद न हो सके।
- पिलर हटाने की सहमति:- प्रथम पक्ष ने सहमति दी है कि रास्ते के पूरब में खड़े किए गए दोनों पिलर और छत को तोड़ दिया जाएगा। उक्त पिलर को तोड़ने से पहले, प्रथम पक्ष पूरब से 5½ फीट के बाद जरूरत के अनुसार नया पिलर खड़ा कर लेंगे ताकि पुराने पिलर को तोड़ते समय मकान पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े।
- नया गेट लगाने का अधिकार: – द्वितीय पक्ष दक्षिण से 12 फीट जमीन छोड़कर अपने हिस्से के दक्षिण से 5½ फीट के अंदर में एक अलग गेट लगवाएंगे। इस पर प्रथम पक्ष को किसी भी प्रकार का विरोध करने का अधिकार नहीं होगा।
- बाउंड्रीवाल के रखरखाव की अनुमति:- बाउंड्रीवाल के रखरखाव, जैसे पेंटिंग, प्लास्टर या मरम्मत की आवश्यकता होने पर, द्वितीय पक्ष या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति, प्रथम पक्ष के परिवार के किसी वयस्क सदस्य की अनुमति से उस जमीन पर जा सकेंगे। प्रथम पक्ष या उनके परिवार के सदस्य को इस कार्य में किसी प्रकार की आपत्ति करने या अनुमति न देने का अधिकार नहीं होगा।
- छत में लगे पानी निकालने के पाइप को व्यवस्थित करना:-
वर्तमान में, प्रथम पक्ष के छत से बारिश का पानी का पाइप अधिक सुनियोजित किया जाएगा ताकि पानी द्वितीय पक्ष के हिस्से में स्थित भूमि पर न गिरे। - समय सीमा: – दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि पिलर तोड़ने से लेकर नए बाउंड्रीवाल का निर्माण करने और गेट लगाने तक का कार्य इस दस्तावेज के निष्पादन से 3 माह के अंदर पूरा कर लिया जाएगा।
इन बिंदुओं पर सहमति के साथ, दोनों पक्षों ने विवाद को समाप्त करने का निर्णय लिया। उपरोक्त शर्तों को मानने के लिए दोनों पक्ष और उनके उत्तराधिकारी कानूनी रूप से बाध्य हैं।
यह समझौता-पत्र 1000-1000 रुपये के दो स्टांप संख्या AZ 050635 और AZ 050636 पर तैयार किया गया है, जो दोनों मूल दस्तावेज हैं। स्टांप संख्या AZ 050636 पर तैयार किया गया समझौता-पत्र प्रथम पक्ष के पास और स्टांप संख्या AZ 050635 पर तैयार किया गया दस्तावेज द्वितीय पक्ष के पास सबूत के तौर पर रहेगा। दोनों का एक-एक कॉपी ट्रस्ट कार्यालय में प्रमाण के लिए रहेगा।
दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि इस दस्तावेज़ की शर्तें दोनों पक्षों के अतिरिक्त उनके उत्तराधिकारियों और कानूनी प्रतिनिधियों पर भी समान रूप से लागू होंगी। इस दस्तावेज़ की शर्तों को विवादित बनाने का अधिकार किसी भी पक्ष के उत्तराधिकारियों को नहीं होगा।
यह कि दोनों पक्षों ने अपनी सहमति से, अपने तन-मन की स्वस्थ अवस्था में, बिना किसी दबाव के, इस समझौता-पत्र की प्रत्येक पृष्ठ को पढ़कर और समझकर, अपना-अपना फोटो चिपकाकर और हस्ताक्षर करके इसे मान्यता दी है, ताकि भविष्य में कोई विवाद उत्पन्न न हो सके। दोनों पक्षों ने स्वेच्छा से अपना-अपना हस्ताक्षर किया है। इसके प्रमाण के तौर पर गवाहों ने भी अपना-अपना हस्ताक्षर किया है। अंत में “डिस्प्यूट-ईटर” की ओर से दिलीप कुमार ने अपना हस्ताक्षर किया है।
इन बिंदुओं पर सहमति के साथ, दोनों पक्षों ने विवाद को समाप्त कर दिया और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। यह समाधान न केवल उनके बीच का विवाद सुलझाने में सहायक सिद्ध हुआ, बल्कि उनके आपसी संबंधों को भी बेहतर बनाने का आधार बना। और इस प्रकार दोनों पक्षों का विवाद पूर्ण-विराम हो गया।
हस्ताक्षर
डिस्प्यूट-ईटर
दिनांक 10.04.2025
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