विवशता, नशे या मज़ाक में पति द्वारा दिये गए तलाक को भी मुस्लिम विधि मान्यता प्रदान करता है! यानि तलाक में पत्नी की भावना और पक्ष का कोई स्थान नहीं है। ###### अब तलाक़शुदा पत्नी पुनः उसी पति से शादी करना चाहती है तो उसे अपनी मर्जी के बिरुद्ध किसी गैर पुरुष से शादी करनी होगी, उसके साथ संबंध स्थापित करना होगा ! पुनः तलाक लेना होगा, ईद्दत का पालन करना होगा, तब जाकर वह उस पति से पुनः विवाह कर सकेगी ।
मेरा एक सबाल है कि उस पत्नी की क्या गलती है, जिसकी ईक्षा के विरुद्ध उसे तलाक दे दिया गया था? उसी पति को पाने के लिए अपनी ईक्षा के विरुद्ध किसी गैर पुरुष से शादी करनी पड़े, संबंध स्थापित करना पड़े, फिर तलाक और तब शादी । मुस्लिम विधि की यह प्रथा नारी की गरिमा के विरुद्ध है, ईसे समाप्त किया ही जाना चाहिए।
(यह मेरा व्यक्तिगत विचार है)
Full Stop No. 27/2024 (Family – Dispute)
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