आप यदि आपस में मोबाईल का पासवर्ड सांझा करनेवाली दम्पत्ति है तो आपकी तलाक की संभावना न के बराबर है। आज जहाँ मोबाईल पति-पत्नी के बीच दरार पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, वही यदि आपने अपनी मोबाईल का पासवर्ड अपने पति/पत्नी के बीच सांझा कर रखा है तो आप दोनों के बीच तलाक की संभावना न के बराबर है।
वर्तमान सीजन को शादियों का सीजन कहा जा सकता है। जोड़िया अपनी नई पारी की शुरुआत करने जा रही है। शादी से पूर्व यानि जब शादी की बात चल रही होती है, जोड़िया की मुस्कान उनकी चहरे से छिपाए नहीं छिपती है। सभी के अपने-अपने सपने होते है। सपने को पुरा करने में वे पैसा को पानी की तरह बहाने से भी परहेज नहीं करती है। कभी-कभी तो वे समाज, परिवार रिस्ते – नातेदार किसी की भी नहीं सुनते है। घर-परिवार छोड़कर स्वेच्छा से शादी कर लेते है। समझाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को हिन्दी फिल्म का खलनायक मान बैठते है। कुछ – कुछ जोड़िया तो वर्षों तक साथ रहने के बाद शादी के बंधन में बंधती है और महज कुछ ही दिनों बाद स्वेच्छा से शादी तोड़ने का निर्णय भी ले लेती है। आखिर दोनों के बीच ऐसा क्या होता है कि वे इस प्रकार का निर्णय ले लेती है?
डिस्प्यूट-ईटर द्वारा कुछ जोड़िया पर अध्ययन किया गया तो चौकानेवाला परिणाम आया। दोनों के बीच विवाद की एक बहुत बड़ी वजह मोबाईल का पासवर्ड सांझा नहीं करना पाया गया। पूछने पर बताया गया कि पासवर्ड सांझा नहीं करना शंका उत्पन्न करता है। ऐसी परिस्थिति में दम्पत्ति खुलकर बात करना कम करने लगते है और गैर वैवाहिक संबंध मान लेने की भयंकर भूल कर बैठते है। सच्चाई पता लगाने के लिए एक दूसरे की जासूसी प्रारंभ कर देते है। फिर डिस्प्यूट-ईटर ने 50 वैसे दम्पत्ति का सर्वे किया जिसने अपनी मोबाईल का पासवर्ड आपस में सांझा कर रखा था। सर्वे में पाया गया कि पासवर्ड शेयर करने वाले दम्पत्ति के बीच पारिवारिक विवाद काफी कम है।
एक मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दिया है कि पत्नी को बताए बिना उनकी बातों को रिकॉर्ड करना पत्नी के प्राइवेसी में दखलअंदाजी है। डिस्प्यूट-ईटर माननीय न्यायालय के निर्णय और व्यक्ति के निजता का सम्मान करता है। डिस्प्यूट-ईटर के अनुसार निजता का अपवाद है पति-पत्नी का रिस्ता। दोनों के बीच गोपनीयता शंका पैदा करता है और पारदर्शिता विश्वास पैदा करता है। दोनों के बीच का रिस्ता पूर्णतः पारदर्शी होना चाहिए। यदि “है कुछ और” और “दिखता कुछ और है” तो एक दूसरे को सच्चाई पता करने का हक होना चाहिए। दम्पत्ति के बीच निजता के सिद्धांत को हु-बहु लागू करना दोनों के बीच विश्वास बढ़ाने में सहायक नहीं हो सकता है।
✍डिस्प्यूट-ईटर।
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