यह अधिनियम खतरनाक महामारी रोगों के प्रसार की बेहतर रोकथाम के लिए अधिनियमित की गई है। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य “बीमारी को फैलने और उसके प्रकोप को रोकने” से है।
जब किसी भी समय राज्य सरकार संतुष्ट हो कि सम्पूर्ण राज्य या उसके किसी हिस्से में किसी खतरनाक महामारी की बीमारी का प्रकोप है, कानून के सामान्य प्रावधान उस “बीमारी को फैलने और उसके प्रकोप को रोकने” के लिए अपर्याप्त हैं, तब राज्य की सरकार सार्वजनिक सूचना देकर इस अधिनियम को (सम्पूर्ण राज्य या किसी भाग में) लागू कर सकती है, जिसके तहत सरकार को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हो जाते है: –
- किसी भी व्यक्ति या/और व्यक्तियों के वर्ग की गतिविधि को नियंत्रित कर सकेगी।
- यात्रा करने वाले व्यक्तियों का निरीक्षण करने।
- अस्पताल में अलगाव की व्यवस्था करने।
- अस्थायी आवास की व्यवस्था करने।
- हर्जाना वसूलने।
- जहाँ जरूरी हो वहाँ पहुंचना, इत्यादि सम्मिलित है।
इसी प्रकार, इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार किसी भी बंदरगाह पर जाने या पहुंचने वाले किसी भी जहाज या जहाज के निरीक्षण के लिए नियमों को निर्धारित कर सकती है।
दंड – इस अधिनियम के तहत किए गए किसी भी आदेश की अवहेलना भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा। यानि दोषी व्यक्ति को छः माह की सजा या 1000 रुपया जुर्माना या दोनों हो सकता है।
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