बात उस समय की है, जब मैं स्नातक का छात्र था। मुझे अपनी पढ़ाई के लिए भी पैसे की व्यवस्था खुद करनी पड़ती थी, अतः मैं पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार की तलाश में भी था. अपने एक साथी के सहयोग से मुझे Home Tutor का काम मिला. वह विद्यार्थी 05वी कक्षा का छात्र था जिसे मुझे पढ़ना था। मैं शाम में नियत समय पर विद्यार्थी के यहाँ पहुँचा। यहाँ मेरा पहला अनुभव था। इससे पहले मुझे ट्यूशन पढ़ाने का कोई अनुभव नही था। मैं टेबल के एक तरफ की कुर्सी पर बैठा, दूसरी ओर विद्यार्थी बैठा। कुछ देर पढ़ाने के बाद विद्यार्थी की माँ एक ट्रे में दो ग्लास, जिसमें एक में दूध और दूसरे में पानी था और एक कप चाय लेकर आई। मेरे सामने रखकर वह अपने काम में चली गई। मुझे ईस बात की जानकारी थी कि शिक्षक को, विद्यार्थी के यहाँ हल्का सा नास्ता मिल जाया करता है। मैंने समझा कि वह मेरे लिए है। मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि पहले पानी पीया जाये या दूध। अंततः मैंने पहले दूध पीने का फैसला किया। मैं एक साँस में पूरा ग्लास दूध पी गया। उसके बाद पानी का ग्लास उठाया ही था कि विदयार्थी की माँ आ गई। वह विदयार्थी से पूछी कि अरे! इतनी जल्दी दूध पी गया. विदयार्थी बोला की दूध सर जी ही पी गए है। विद्यार्थी की माँ की बात सुनकर मुझे समझ में आया कि दूध विद्यार्थी के लिए था। मैं अगल-बगल झाकते हुए पानी पीया. विदयार्थी की माँ अन्दर के कमरे में गई। मुझे जोर-जोर से हँसी की आवाज सुनाई दी। उसके बाद नौकरानी सहीत परिवार के प्रत्येक सदस्य दरवाजा का पर्दा हल्का सा हटाकर मुझे मुस्कान भरे नजर से देखने लगे। मैंने भी जल्दी-जल्दी होम वर्क दिया अपना पसीना पोछते हुए बहार आये और दुबारे फिर उनके यहाँ ट्यूशन पढ़ाने नही गया।
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