सवाल न्यायपालिका के साख का है पार्ट – 01 में ही मैंने लिखा था कि जज की नियुक्ति प्रक्रिया मे बदलाव होना चाहिए। निचली अदालत के लिए जज की वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से कुछ अपवाद को छोड़कर केवल रटे – रटाए विधि के विद्यार्थी ही जज बन पाते है, जिनकी कार्यशैली में Practical अनुभव का अभाव झलकता है। उनके दुविधापूर्ण मस्तिष्क का खामियाजा न्यायपालिका को भुगतना पड़ता है.
मेरा सुझाव है कि जजो की नियुक्ति प्रक्रिया तीन चरणो मे हो जो ईस प्रकार का हो –
- बार एसोसिएशन के अध्यक्ष/सचिव ईस आशय का प्रमाण पत्र दे कि “मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ कि “अमुक” Regular Practicing Advocate है”।
- जिला जज और 5/7 वरीए जज द्वारा कैमरे की नजर में साक्षात्कार हो, जिसको उच्च न्यायालय के जज भी देखते रहे।
- उच्च न्यायालय के स्तर पर कैमरे की नजर में साक्षात्कार हो, जिसको सर्वोच्च न्यायालय के जज भी देखते रहे।
मेरा मानना है कि ईस प्रक्रिया के माध्यम से समय और पैसे की बर्बादी भी वर्तमान प्रक्रिया की तुलना मे कम होगी और योग्य व्यक्ति ही जज बन पायेंगे।
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