सिविल वाद में प्रतिवादी की मृत्यु के कारण वाद लगभग 02 बर्ष पीछे चला जाता है. मृतक प्रतिवादी के विधिक प्रतिनिधि उपस्थित होने में काफी बिलम्ब कर देते है. मेरा सुझाव् है कि जैसे ही मूल प्रतिवादी न्यायालय में पहली बार उपस्थित होता है, उनसे ईस तथ्य का शपथ – पत्र ले लिया जाना चाहिए कि:-
“मेरे अमुक – अमुक विधिक प्रतिनिधि है, उनके नाम और पता अमुक – अमुक है. मैंने अपने सभी विधिक प्रतिनिधि/प्रतिनिधियों को ईस वाद की सूचना दे दी है. मेरे नहीं रहने के बाद मेरे विधिक प्रतिनिधि/प्रतिनिधियों को ईस वाद की सूचना देने की कोई आवश्यकता नहीं है”
जब वादी की मृत्यु के बाद उनके विधिक प्रतिनिधि स्वतः न्यायालय में उपस्थित हो सकते है तो प्रतिवादी के विधिक प्रतिनिधि स्वतः न्यायालय में उपस्थित क्यों नहीं हो सकते है?
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