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भारत में वैवाहिक मृत्यु: एक गहन विश्लेषण।

Adv. Dilip Kumar by Adv. Dilip Kumar
October 9, 2024
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भारत में वैवाहिक मृत्यु: एक गहन विश्लेषण।
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भारत में “वैवाहिक मृत्यु” (तलाक) के मामले निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। मैंने इस विषय पर सैकड़ों व्यक्तियों से बातचीत की है, उनका पक्ष जाना है और इस पर अध्ययन किया है। इस अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकता हूँ कि “वैवाहिक मृत्यु” का इच्छुक व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ होता है, और उसे विवाह नामक व्यवस्था पर विश्वास नहीं होता। शादी से पहले एक-दूसरे को जानने और समझने के प्रयास को भी मैं मानसिक अस्वस्थता के रूप में देखता हूँ।

उदाहरण

मैं यहाँ तीन उदाहरण देना चाहूंगा:

  1. एक 08वीं कक्षा का छात्र अपनी सहपाठी छात्रा से स्नातक के बाद मई 2018 में शादी करता है और जून 2018 में विवाह-विच्छेद के लिए सहमत हो जाता है।
  2. एक प्रतिष्ठित एयरलाइंस की महिला अधिकारी ने फोन पर बताया कि उसने अपने स्तर के एक अधिकारी से लम्बे समय तक नजदीक रहने के बाद शादी की, और बाद में उसने गर्भपात कराया क्योंकि वह घटिया व्यक्ति की संतान को जन्म नहीं देना चाहती थी।
  3. एक डॉक्टर दम्पत्ति ने लगभग 05 वर्ष तक एक दूसरे को जानने और समझने के बाद शादी का निर्णय लिया और महज आधे घंटे भी शादी नही चली और  विवाह को शून्य घोषित करवाने के लिए न्यायालय में वाद पस्तुत कर दिया।

प्रारंभिक लक्षण

मेरे अनुभव के अनुसार, “वैवाहिक मृत्यु” नामक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति सिग्नल देना शुरू कर देता है। इसके प्रारंभिक लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. “वह परिवार तो मेरे लायक था ही नहीं।”
  2. “मुझे तो अमुक का रिश्ता आया था, जिसे ठुकराकर मैंने भारी भूल की है।”
  3. “अमुक व्यक्ति ने कहा कि तुम कहाँ फस गए।”

समाधान

यहां तक कि मुझे लगता है कि यह जान-बूझकर की गई गलती नहीं है। इसे नजरअंदाज करना उचित नहीं है। यदि समय रहते दोनों पक्षों की काउंसलिंग की जाए, तो “वैवाहिक मृत्यु” को रोका जा सकता है।

निष्कर्ष

इस प्रकार, “वैवाहिक मृत्यु” केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि यह समाज की एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान जरूरी है। विवाह की व्यवस्था में विश्वास को पुनर्स्थापित करने के लिए शिक्षा, संवाद और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है। यदि हम विवाह को एक सशक्त और सकारात्मक अनुभव बनाना चाहते हैं, तो हमें इसके विभिन्न पहलुओं को समझना और उस पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

✍ डिस्प्यूट-ईटर

Adv. Dilip Kumar

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