प्रत्येक रविवार को मैं अपने गाँव छपरा मेघ जाता हूँ, जहाँ मैं शाम के 03 बजे से लेकर 06 बजे तक रहता हूँ। गाँव जाने का मेरे मुख्य उद्देश्य अपने माता जी से मिलना होता है। लेकिन इस बार एक अलग ही घटना घटी जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया।
जब मैं अपनी माँ के पास बैठा था, तभी मेरे पड़ोस की एक महिला, जिनका नाम xxxxxxxx पासवान है, मेरे घर आई। वह आते के साथ रोने लगी और अपनी पीड़ा व्यक्त करने लगी। उन्होंने बताया कि उनकी बहू ने उन पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दायर कर दिया है। इसके कारण उनका बेटा घर छोड़कर भाग गया है और वह अब उसे किसी भी स्थिति में नहीं ढूंढ पा रही हैं।
यहाँ पर सबसे दुखद पहलू यह था कि परिवार के सभी सदस्यों को बेल दिलवाने के लिए उन्होंने मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट में अपने फुफेरे भाई वकील से मदद ली थी। उनके भाई ने परिवार के अन्य सदस्य के बेल के लिए 2,50,000 रुपये खर्च करवा दिए थे, यह राशि उनके पास नहीं थी। उन्होंने यह पैसा ग्राम के व्यक्तियों से सूद पर उधार लिया था, जो अब उनके लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। अब उनका सबसे बड़ा संकट यह है कि यह सूद का पैसा कैसे चुकता किया जाए।
उनकी दूसरी बड़ी पीड़ा यह है कि उनका बेटा लगभग 06 महीने से घर से बाहर है और वह उससे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। यह उनके लिए एक मानसिक और भावनात्मक तनाव का कारण बन गया है, क्योंकि एक माँ के लिए यह असहनीय होता है कि उसका बेटा घर से दूर हो और वह किसी भी प्रकार का संपर्क स्थापित न कर पाए।
इन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए मैंने ठान लिया है कि मैं इस तरह के पीड़ा से पीड़ित परिवार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही तरीके से समझकर यह सुनिश्चित करूंगा कि ऐसे मामलों में उचित सहायता मिल सके। इस संदर्भ में, मैं यह बताना चाहता हूँ कि राम यतन शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा संचालित “डिस्प्यूट-ईटर” एक संस्था है, जो पारिवारिक मामलों में लगभग निःशुल्क सहायता प्रदान करती है।
यह संस्था पारिवारिक विवादों को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इन मामलों के समाधान के लिए कानूनी और मानसिक सहायता प्रदान करती है। संस्था का उद्देश्य परिवारों में शांति और समृद्धि लाना है और ऐसे व्यक्तियों की मदद करना है जिनके पास आर्थिक रूप से सहायता लेने का कोई साधन नहीं होता।
मैं “डिस्प्यूट-ईटर” संस्था की मदद से यह वादा करता हूँ कि मैं पीड़ित परिवारों को बिना किसी वित्तीय बोझ के कानूनी और पारिवारिक मदद उपलब्ध कराऊँगा। यह संस्था विश्वास दिलाती है कि जिन परिवारों को पारिवारिक विवादों से परेशानियाँ आ रही हैं, उन्हें निःशुल्क सहायता प्राप्त होगी और वे कानूनी प्रक्रियाओं में मार्गदर्शन पाएंगे।
समाज में ऐसे बहुत से परिवार हैं जो पारिवारिक मामलों में अत्यधिक कष्ट भोग रहे हैं, लेकिन उनके पास उनके अधिकारों की रक्षा करने का कोई साधन नहीं है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन व्यक्तियों तक उचित सहायता पहुंचे और उनके जीवन में शांति और समृद्धि की पुनः स्थापना हो।
समाज को इस तरह के मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने और सहायता देने की आवश्यकता है। साथ ही, हम सभी को यह समझना चाहिए कि पारिवारिक विवादों का समाधान केवल कानूनी पहलू पर नहीं, बल्कि मानवता और सहानुभूति के आधार पर भी किया जा सकता है।
✍ डिस्प्यूट-ईटर
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