04 अगस्त “किराया मुक्ति दिवस”
आज किराया मुक्ति को तीन वर्ष पूरे हो गए हैं। 04 अगस्त 2021 को मुझे किराया से मुक्ति मिली थी। तीन वर्षों में मैंने महसूस किया है कि समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है। किराया मुक्ति दिवस पर मैंने एक आलेख लिखा था, जिसमें मैंने दुनिया के लोगों को दो काल्पनिक सूचियों में विभाजित किया था। पहली सूची में वे लोग हैं जिनके पास खुद का मकान है, और दूसरी सूची में वे लोग हैं जो किराए पर रहने को मजबूर हैं। दूसरी सूची में शामिल व्यक्ति कठोर परिश्रम करते हैं ताकि वे पहली सूची में स्थान पा सकें। मैं भी 27 वर्षों तक किराए पर रहा हूँ। मेरे व्यक्तिगत अनुभव पूर्णतः स्पष्ट है कि समाज का दृष्टिकोण आवासीय किरायेदारों के प्रति सम्मानजनक नहीं होता है। यह एक सच्चाई है कि जब कभी मेरा परिचय एक किरायेदार के रूप में दिया गया, तो मुझे अच्छा नहीं लगा। संभवतः मेरे जैसे कई किरायेदारों को ऐसा ही अनुभव होता होगा, लेकिन वे इस स्थिति को सहन करने के लिए मजबूर होते हैं। वास्तव में, अपना घर होना केवल एक भौतिक स्थान नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण पहचान भी है। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को इस पहचान का हकदार होना चाहिए और उसे यह हक मिलना चाहिए। यह हक प्राप्त करने के लिए किसी कानूनी या सामाजिक लड़ाई की आवश्यकता नहीं होती; यह लड़ाई अपने आप से होती है। यह अपने जीवनशैली में बदलाव लाने, अपने अंदर छिपे आलस्य के खिलाफ लड़ने, और अपने लक्ष्य पर निष्ठा और एकाग्रता बनाए रखने की लड़ाई होती है। यह समर्पण और पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ अपने कार्य में पूरी तरह से डुबकी लगाने के लिए करनी पड़ती है।
लगभग 25 वर्ष पूर्व, जब मैंने वकालत की शुरुआत की थी, मुझे पूरा विश्वास था कि मैं न्यायिक सेवा में चयनित हो जाऊँगा। मुझे एक सुनिश्चित वेतन मिलने लगेगा और मैं जल्दी ही अपना मकान का मालिक बन जाऊँगा। लेकिन भाग्य ने मुझे उससे अधिक सौभाग्यशाली माना जितना मैंने कल्पना किया था। आज जब मैं अपने कार्यालय में बैठता हूँ, तो मेरी खुशी का अंदाजा आप लगा सकते हैं।
✍ दिलीप कुमार
(अधिवक्ता)
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