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पति-पत्नी की लड़ाई में मुद्दा नामक कोई चीज होती ही नहीं है।

Adv. Dilip Kumar by Adv. Dilip Kumar
February 5, 2022
in Latest Articles
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पति-पत्नी की लड़ाई में मुद्दा नामक कोई चीज होती ही नहीं है।
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यदि आपकी शादी होनेवाली है तब यह आलेख आपके लिए लाभदायक है और यदि आपको अपने पति-पत्नी के बीच विवाद है तब यह आलेख आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

वह स्नातक का छात्र था। उसकी उम्र लगभग 20-21 साल की थी। दिसंबर का महिना, दिन शुक्रवार और रात के साढ़े नौ बजे का समय था। कड़ाके की सर्दी और चारों तरफ कोहरा छाया हुआ था। परिवार में किसी बात पर विवाद हो गई और उसे घर छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा। उसके पास बहुत कुछ था भी नहीं। पहनने के उतने ही कपड़े थे, जितना उसने पहन लिया, पैर में हवाई चप्पल, पॉकेट में मात्र 03 रुपया 50 पैसा और एक टाइप-राइटर मशीन जिसे वह पड़ोसी के घर में रख दिया और वह घर से निकल गया। अनेकों रात रेलवे स्टेशन पर और दिन मंदिरों में बिताया करता था वह। उसमें एक भारी कमी थी, उसे भूख बिल्कुल बर्दास्त नहीं होता था परंतु वह विवश था, अनेकों रात भूखे सोना पड़ा था उसे। परंतु घर से निकलने के बाद वह पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह आगे और आगे बढ़ता रहा। कुछ दिनों बाद अपनी जीविका के लिए वह ट्यूशन पढ़ना प्रारंभ कर दिया। उसे अपने भोजन के साथ-साथ पढ़ाई के खर्च की व्यवस्था भी खुद करनी पड़ती थी।

घर से निकलने के 08 वर्ष बाद उसकी शादी हो गई। शादी के समय उसकी आमदनी मुश्किल से 400 से 500 रुपया प्रति माह की ही रही होगी। वह एक टीन  के छत वाला घर किराये पर लिया, जिसका किराया 250 रुपया प्रतिमाह था और अपनी पत्नी के साथ उसी में रहना प्रारंभ कर दिया। किसान परिवार से ताल्लुक रखता था वह जबकि उसकी पत्नी के माता-पिता सरकारी नौकरी में थे। उसका   रहन – सहन उसकी पत्नी को थोड़ा अटपटा लगता था। घर में पलंग नहीं था वह चौकी पर सोता था। बिस्तर भी काफी पतला था। वस्तुतः उस लड़के की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी परंतु जब उसे कोई गरीब कहता था तब उसको बुरा लगता था। वह कहता था कि उसके के पास सब-कुछ है परंतु पैसा थोड़ा कम  है। पत्नी बोलती थी थोड़ा कम नहीं वल्कि पैसा है ही नहीं। इसी बात पर झगड़ा प्रारंभ हो जाया करता था। पत्नी की आँख में आसुँ आ जाता था और लड़का का आँख गुस्सा से लाल जो जाता था। विवाद की स्थिति में एक-दूसरे से बात करते समय बोल-चाल के तरीके में भी बड़ी असावधानी हो जाया करती थी और वह असावधानीपूर्ण वचन बाण की तरह एक-दूसरे को चुभते थे।

विवाद किस बात पर प्रारंभ हो जाया करता था, विवाद समाप्ति के बाद भी पता नहीं चल पाता था। विवाद की स्थिति में पति भोजन छोड़ देता था और पत्नी सम्बन्ध बनाने से मना कर देती थी। विवाद दैनिक दिनचर्या में प्रवेश करने की ओर कदम बढ़ा दिया था। पत्नी ने इस बात की शिकायत अपने ससुर से किया। पति इस बात से भयभीत हो गया कि दोनों का आपसी विवाद अब घर से निकलकर परिवार और समाज में फैल सकता है, जिससे दोनों की शिकायत होगी।

एक दिन दोनों शांत होकर बैठे और विवाद का मुद्दा खोजने का प्रयास किया। आश्चर्य तो तब हुआ जब अथक प्रयास के बाद भी विवाद का मुद्दा मिला ही नहीं। सामान्यतः पति-पत्नी की लड़ाई में मुद्दा नामक कोई चीज होती ही नहीं है। विवाद किसी बात पर असहमति से प्रारंभ होती है और उस असहमति पर दूसरे पक्ष द्वारा बिना सोचे-समझे दिया गया प्रतिक्रिया गुस्सा को जन्म देता है जिससे विवाद पैदा हो जाता है।

वह स्नातक था जबकि उसकी पत्नी स्नातकोत्तर थी। दोनों उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति थे, उसने समझदारी के साथ एक समझौता किया कि आज से:-

i. सुबह की चाय एक साथ ही पीयेंगे। उस दौरान मोबाईल, अख़बार इत्यादि से पूर्णतः दूर ही रहेंगे और केवल मीठी-मीठी बातें करेंगे।

ii. चाहे कितना भी गुस्सा क्यों न आए, पति खाना/नास्ता नहीं छोड़ेगा। .

iii. चाहे कितना भी गुस्सा क्यों न आयें पत्नी physical होने से मना नहीं करेंगी।

इस समझौता पर पति-पत्नी दोनों अभी तक कायम है। और दोनों का रिस्ता सही ढंग से चल रहा है।

यदि आपकी शादी अभी-अभी हुई है और आप सोंच रहे है कि विवाद नहीं होगी तो आप गलत है। हाँ आप विवाद से बचने का उपाय कर सकते है। आपके पास तीन विकल्प मौजूद है। आप अपने जीवनसाथी को अपने अनुरूप ढाल लें या उसके अनुरूप आप अपने-आप को ढाल लें या आप समझौता कर लें। इस प्रकार आप विवाद से बच सकते है।

✍डिस्प्यूट-ईटर।

 

Adv. Dilip Kumar

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