• Home
  • About
  • Our Aim
  • Team
  • Photos
  • We Contribute
  • Online Appointment
  • Donate Us
  • FAQs
  • Contact
Menu
  • Home
  • About
  • Our Aim
  • Team
  • Photos
  • We Contribute
  • Online Appointment
  • Donate Us
  • FAQs
  • Contact
Search
Close
Home Latest Articles

जमाबंदीधारी की मृत्यु के उपरांत एक निश्चित समय के भीतर जमाबंदी ……………

Adv. Dilip Kumar by Adv. Dilip Kumar
December 9, 2022
in Latest Articles
0
जमाबंदीधारी की मृत्यु के उपरांत एक निश्चित समय के भीतर जमाबंदी ……………
  • Facebook
  • Twitter
  • Pinterest
  • LinkedIn
  • WhatsApp

जमाबंदीधारी की मृत्यु के उपरांत एक निश्चित समय के भीतर जमाबंदी का विभाजन अनिवार्य हो जाने से सिविल प्रकृति के वाद में भारी कमी आ सकती है।

सिविल प्रकृति के वाद के निष्पादन में विलंब होना, सरकार, न्यायालय, अधिवक्ता और जागरूक जनता सभी को चिंतित करता है। सिविल प्रकृति के लंबित वादों में सबसे अधिक वाद जमीन से जुड़ा वाद है।  जमीन से जुड़े वाद को तीन श्रेणी में विभाजित किया जा सकता  है: –
A. राजस्व अभिलेख से जुड़ा वाद,
B. पैमाईस से जुड़ा वाद
C. विभाजन से जुड़ा वाद और
D. टाइटल से जुड़ा वाद।

समान्यतः राजस्व अभिलेख और पैमाईस से जुड़े वादों में विधि का महत्वपूर्ण प्रश्न अंतर्ग्रस्त नहीं होता है। बहुतेरे ऐसे मामलें है जिसमें भूमि का कब्जा जिसके पास है उसका नाम भू-राजस्व अभिलेख में नहीं है और जिसका नाम भू-राजस्व अभिलेख में तो है परंतु उसका कब्जा नहीं है। वैसी परिस्थिति में भी पीड़ित पक्ष को सिविल न्यायालय में प्रथमतः अपना टाइटल साबित करना पड़ता है, तत्पश्चात उसे रिकवरी ऑफ पज़ेशन की डिक्री प्राप्त होता है जो काफी लंबी प्रक्रिया है। उपरोक्त मामलें में संक्षिप्त विचारण की कोई व्यवस्था भी नहीं है। इस प्रकार के वादों का निपटारा अंचल अधिकारी के स्तर से ही हो सकता है। कानून की नजर में अंचल अधिकारी “ऑफिसर ऑन दी स्पॉट” है। यदि वें स्थल पर जाकर फैसला करें तो बहुत सा मामला सहजता से निबट जाएगा। जिससे पक्षकारों को समय और पैसा दोनों बचेगा और न्यायालय का बोझ भी कम हो सकेगा।

दूसरा मामला भूमि के पैमाईस से जुड़ा है। उदाहरण के लिए यदि दो व्यक्ति ने एक ही जमीन मालिक से अलग-अलग तिथि को जमीन खरीदा। खरीदने से पूर्व किसी ने जमीन की पैमाईस नहीं कराया। एक व्यक्ति ने थोड़ा अधिक भूमि पर कब्जा कर लिया। पीड़ित पक्ष को सिविल न्यायालय में प्रथमतः अपना टाइटल साबित करना पड़ता है, तत्पश्चात उसे रिकवरी ऑफ पज़ेशन की डिक्री प्राप्त होता है, जो कि काफी लंबी प्रक्रिया है। इस प्रकार का वाद मूल रूप से पैमाईस से जुड़ा है और इसका निदान भी अंचल अधिकारी स्तर से निबटाया जा सकता है।

परिवर्तन समय की मांग है। हमने देखा है कि सरकार समय-समय पर कानून में बदलाव करती रहती है। व्यापक जागरूकता और जरूरत के कारण आज व्यक्ति एक निश्चित समय के भीतर जन्म प्रमाण-पत्र, मृत्यु प्रमाण-पत्र, विवाह प्रमाण-पत्र में दिलचस्पी लेना प्रारंभ कर दिया है। उसी प्रकार यदि जमाबंदीधारी की मृत्यु के उपरांत एक निश्चित समय के भीतर जमाबंदीधारी के उत्तराधिकारीगण के बीच जमाबंदी का विभाजन अनिवार्य कर दिया जाए, तत्पश्चात भूमि बेचने की अनुमति दी जाए, तो सिविल वाद में कमी देखने को जरूर मिलेगी।

अब टाइटल से जुड़े मामले को भी दो भागों में विभाजित कर उसका निदान ढूंढा जा सकता है। पहला “टाइटल दस्तावेज” के आधार पर भूमि पर दावा और दूसरा अवैध कब्जा। यदि एक पक्षकार के पास किसी भूमि के टाइटल से संबंधित दस्तावेज है और दूसरे पास पास नहीं है, ऐसी स्थिति में कब्जाधारी  व्यक्ति को स्वतः अवैध कब्जाधारी माना जाए और उसे भूमि से वेदखल करने का हक राजस्व अधिकारी और पुलिस को संयुक्त रूप से दे दिया जाए। इससे न्यायालय में टाइटल से जुड़ा मामला काफी हद तक कम हो जाएगा। और यदि दोनों पक्ष टाइटल संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करता है तब मामला कोर्ट में प्रस्तुत करने की अनुमति दिया जाए। सरकार यदि इस दिशा में ठोस पहल करे तो न्यायालय को सिविल वाद के बोझ से मुक्ति मिल सकती है।

✍दिलीप कुमार
(संपत्ति और परिवार के अधिवक्ता)

Adv. Dilip Kumar

  • Facebook
  • Twitter
  • Pinterest
  • LinkedIn
  • WhatsApp
Previous Post

न्यायिक हादसा (A Judicial Accident)

Next Post

नोटरी विवाह/तलाक दस्तावेजों को निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं: – MP HC

Adv. Dilip Kumar

Adv. Dilip Kumar

Next Post
नोटरी विवाह/तलाक दस्तावेजों को निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं: – MP HC

नोटरी विवाह/तलाक दस्तावेजों को निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं: - MP HC

Discussion about this post

Cases Resolved by the DE

Full-Stop No. 27/2025 (Family Dispute)

Full-Stop No. 27/2025 (Family Dispute)

by Adv. Dilip Kumar
August 13, 2025
0

Dispute-Eater Run & Managed by Ram Yatan Sharma Memorial Trust,...

Full-Stop No. 26/2025 (Family Dispute)

Full-Stop No. 26/2025 (Family Dispute)

by Adv. Dilip Kumar
August 13, 2025
0

Dispute-Eater Run & Managed by Ram Yatan Sharma Memorial Trust,...

Full-Stop No. 25/2025 (Family Dispute)

Full-Stop No. 25/2025 (Family Dispute)

by Adv. Dilip Kumar
August 13, 2025
0

Dispute-Eater Run & Managed by Ram Yatan Sharma Memorial Trust,...

Load More

Latest Articles on DE

The Full Stop Theory of Justice

The Full Stop Theory of Justice

by Adv. Dilip Kumar
August 25, 2025
0

The Full Stop Theory of Justice All family disputes, property...

विवाद और विश्वास : एक दूसरे का विरोधी भी, सहयात्री भी।

विवाद और विश्वास : एक दूसरे का विरोधी भी, सहयात्री भी।

by Adv. Dilip Kumar
August 23, 2025
0

विवाद और विश्वास : एक दूसरे का विरोधी भी, सहयात्री...

सही कानूनी सलाह: न्याय की पहली सीढ़ी है।

सही कानूनी सलाह: न्याय की पहली सीढ़ी है।

by Adv. Dilip Kumar
August 23, 2025
0

मुजफ्फरपुर की एक घटना ने फिर से यह प्रश्न खड़ा...

Judgement from the Court

संयुक्त वसीयत की स्थिति में वसीयत का प्रावधान केवल मृतक वसीयतकर्ता की संपत्ति तक ही सीमित होगा जीवित वसीयतकर्ता की संपत्ति पर प्रभावी नहीं होगा-  केरल उच्च न्यायालय।

संयुक्त वसीयत की स्थिति में वसीयत का प्रावधान केवल मृतक वसीयतकर्ता की संपत्ति तक ही सीमित होगा जीवित वसीयतकर्ता की संपत्ति पर प्रभावी नहीं होगा-  केरल उच्च न्यायालय।

January 7, 2023
बहू को है सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार – सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,  

बहू को है सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार – सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,  

September 19, 2022
नोटरी विवाह/तलाक दस्तावेजों को निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं: – MP HC

नोटरी विवाह/तलाक दस्तावेजों को निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं: – MP HC

November 24, 2021
Load More
  • Home
  • About
  • Our Aim
  • Team
  • Photos
  • We Contribute
  • Online Appointment
  • Donate Us
  • FAQs
  • Contact
  • Home
  • About
  • Our Aim
  • Team
  • Photos
  • We Contribute
  • Online Appointment
  • Donate Us
  • FAQs
  • Contact
Facebook Twitter Youtube Linkedin
© 2019-2022 – Dispute Eater

Run & Managed by – RAM YATAN SHARMA MEMORIAL TRUST®

made with love at Ambit Solutions (7488039982)
WhatsApp chat