Ram Yatan Sharma Memorial Trust
A Public Charitable Trust
Muzaffarpur.
Full Stop No. 05/2021
(Property – Dispute)
Date of Compromise- 02.11.2021
Court Case Details: –
Name of the Court: – Sub-Judge – 01st East Muzaffarpur
Partition Suit No. 368/2020
Name of the Plaintiff: – Shri XXXXXXX S/o- Late XXXXXXX A resident at – XXXXXX Ps- Sadar, District- Muzaffarpur.
Name of the Defendants: –Smt. XXXXXXXXXX W/o Late XXXXXXXXXX A resident at – Late XXXXXXXXXXX A resident at – XXXXXX Ps- Sadar, District- Muzaffarpur & others
दोनों – पक्षों के बीच लंबित विवाद Partition Suit No. 368/2020 Sub – Judge – 01st East Muzaffarpur को समझौता द्वारा समाप्त कर दिया गया और समझौता – पत्र को न्यायालय में प्रस्तुत भी कर दिया गया ट्रस्ट उपरोक्त विवाद को पूर्ण विराम (Full-Stop) तक पहुँचाने में सफल हुआ। दोनों पक्षों के बीच एक समझौता – पत्र तैयार हुआ जो निम्नलिखित है: –
संधि–पत्र
- यह कि वादी द्वारा यह वाद, वादपत्र के कंडीका संख्या 02 में वर्णित संपत्ति में से अपने हिस्से की भूमि को अलग करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
- यह कि प्रतिवादिगण द्वारा उक्त वाद में उपस्थित होकर दिनांक को अपना लिखत कथन प्रस्तुत किया है जो अभिलेख पर है।
- यह कि “राम यतन शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट मुजफ्फरपुर” के प्रयास से इस वाद का समझौता हो गया है, जो ईस प्रकार है:-
i यह कि दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया कि प्रतिवादी संख्या 01 & 02 की शादी अच्छे और सम्पन्न परिवार में सम्पन्न हुई है। प्रतिवादी संख्या 01 & 02 अपने-ससुराल में रहती चली आ रही है। दोनों पक्षों ने यह भी स्वीकार किया है कि प्रतिवादी संख्या 03 जो कि वादी और अन्य प्रतिवादी की माँ है, वादी के साथ रहती है।
ii. यह कि प्रतिवादी संख्या 01 & 02 ने यह स्वीकार किया है उन्होंने वाद-पत्र कि अनुसूची संख्या 02 में वर्णित संपत्ति में का अपना हिस्सा स्वेच्छया से वादी के पक्ष में छोड़ दिया है।
iii. यह कि वादी ने यह स्वीकार किया है कि वे नियमित रूप से प्रतिवादी संख्या 03 जो कि वादी की माँ है, की भरण-पोषण, सेवा-टहल, देख-भाल, करते रहेंगे। इस प्रकार प्रतिवादी संख्या 03 ने भी वाद-पत्र की अनुसूची संख्या 02 की सम्पूर्ण संपत्ति जिसका वर्णन इस संधि-पत्र के नीचे भी किया गया है के संदर्भ में अपना दावा वादी के पक्ष में त्याग दिया है।
iv. यह कि दोनों पक्षों ने सहमति से अपने तन – मन की स्वस्थ्य अवस्था में अपने – अपने लाभ – हानि पर विचार करके बिना किसी दवाब के स्वेक्ष्या से अपना – अपना हस्ताक्षर बनाया है, जिसकी सम्पुटी में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओ ने भी अपना – अपना हस्ताक्षर बनाया है, ताकि प्रमाण रहे और भविष्य में कोई विवाद उत्पन्न न किया जा सके।
v. यह की यह संधि-पत्र डिक्री का हिस्सा होगा।
vi. यह कि ईस संधि पत्र के आलोक में यदि वादी के पक्ष में डिक्री प्रदान की जाती है तो उभय – पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होगी।अतः न्यायालय से प्रार्थना है कि ईस संधि – पत्र को स्वीकार किया जाये और उसके आलोक में वाद का निबटारा करने की कृपया की जाये। इसके लिए उभय – पक्ष श्रीमान का सदा आभारी रहेगा.
(XXXXXXXX)
वादी का हस्ताक्षर
(XXXXXX @ XXXXX)
प्रतिवादिगण का हस्ताक्षर
S/d
Dispute-Eater
Discussion about this post