भारतीय दंड विधान 01 जनवरी 1862 से प्रभाव में आया। भारतीय दंड विधान की धारा 53 के अनुसार भारत में कुल पाँच प्रकार के दंड का प्रावधान है।
- मृत्यु दंड
- आजीवन कारावास
- कारावास
- संपत्ति का समपहरण
- आर्थिक दंड
दंड विधान की धारा 89 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि कुछ परिस्थिति में बारह वर्ष के कम आयु या पागल व्यक्ति के गार्डियन को कुछ खास परिस्थिति में शारीरिक दंड देना का हक है। वह भी सशर्त। यानि वह दंड बारह वर्ष के कम आयु या पागल व्यक्ति के भलाई के लिए और सद्भावनपूर्वक दिया गया होना चाहिए।
अब सवाल पैदा होता है कि पुलिस को डंडा मारने का हक कहाँ से आया? और वह भी मास्क नहीं पहनने के कारण!
दिनांक 24.05.2021 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ओशीन शर्मा और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका (W.P. No.9595/2021) की सुनवाई के दौरान कहाँ कि किसी भी नागरिक को मास्क नहीं पहनने या लॉकडाउन की शर्तों का पालन नहीं करने पर शारीरिक दंड नहीं दिया जाना चाहिए। साथ-ही साथ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश भी दिया।
विषय-वस्तु: –
आवेदक नें परदेशीपुरा थाना, इंदौर में तैनात दो पुलिस कांस्टेबलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए निर्दोष रिक्शा चालक को बेरहमी से पीटा था। रिक्शा चालक पर आरोप था उसने उचित तरीके से मास्क नहीं था था। आवेदक ने कहा गया है कि ऑटो-रिक्शा चालक ने बताया कि उसके पिता बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, वह उनसे मिलने जा रहा था, हालांकि पुलिसकर्मियों को उसकी बात पसंद नहीं आई और उन्होंने उसे पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा। थाने में आने से इनकार करने पर पुलिसकर्मियों और ऑटो-रिक्शा चालक के बीच हाथापाई हुई और उसे जबरन थाने ले जाया गया। जबकि वहां खड़े रिक्शा चालक के बेटे ने पुलिसकर्मियों से अपने पिता को ना पीटने की गुहार लगाई।
✍दिलीप कुमार
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