जब विवाह के सात सालों के अन्दर किसी महिला की मौत जलकर या शारीरिक चोट या सामान्य स्थितियों से अलग होती है और यह पाया जाता है कि अपनी मौत से कुछ समय पहले अपने पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा दहेज़ के लिए या दहेज़ संबंधी मांगों के क्रूरता या तंग किया गया था, हिंसा या प्रताड़ना की शिकार हुई थी तो ऐसी मृत्यु को दहेज़ हत्या कहा जाता है।
प्रावधान: – भारतीय दंड संहिता की धारा 304-B
अवधि: –
मौत, शादी की तिथि से सात साल के अंदर होना चाहिए। दहेज हत्या के तहत मुकदमा चलाने के लिए विवाह के सात साल की नियत अवधि का होना जरूरी है। अगर शादी की तिथि से सात साल बाद महिला की मौत होती है तो वह मामला दहेज हत्या का नहीं हो सकता है।
सजा-
दहेज़ हत्या के लिए दोषी पाए व्यक्ति को सात साल की न्यूनतम कारावास की सजा तय की गयी है और न्यायाधीशों को ज्यादा गंभीर सजा देने का अधिकार है. धारा 304-B को लागू करने के लिए निम्न कारकों का होना आवश्यक है:-
मौत: –
मौत प्राकृतिक नहीं होना चाहिय, वह हमेसा अप्राकृतिक और असाधारण परिस्थितियों में होना चाहिए, जैसे :- जलने, जिस्मानी घावों, गला घोंटने, जहर खाने, फांसी लगाने इत्यादि से होने वाली मौत अप्राकृतिक मौत के उदहारण हैं। किसी महिला के द्वारा आरोप कि उसके ससुरालवालों ने दहेज़ की कारण उसका जीना मुश्किल कर दिया था, जिसके कारण वह आत्महत्या की, उसकी मौत को अप्राकृतिक मौत की श्रेणी में रखती है।
प्रमाण: – धारा 304-B को प्रत्यक्ष प्रमाण की जरुरत नहीं है।
पति या पति के परिजनों के द्वारा महिला के साथ क्रूरता की गई होनी चाहिए: –
क्रूरता :- यानि जान – बूझकर किया गया कोई कोई कार्य या आचरण जिससे महिला आत्महत्या करने के लिए या अपने जीवन, शरीर और स्वास्थ्य के प्रति गंभीर क्षति करने के लिए प्रेरित करता हो। क्रूरता शारीरिक और मानसिक क्रूरता दोनों हो सकता है।
क्रूरता या प्रताड़ना दहेज़ की मांग से संम्बंधित होनी चाहिए : –
अगर महिला के साथ हुई क्रूरता या प्रताड़ना दहेज़ से संबंधित नहीं है तो ऐसे मामलों को इस धारा के तहत नहीं रखा जा सकता है।
दहेज़:-
कोई संपत्ति जो विवाह के पूर्व, समय और पश्चात विवाह के एक पक्षकार द्वारा दूसरे पक्षकार को विवाह के संबंध में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में दी गई है या देने का कारक किया है।
क्या दहेज नहीं है: – आर्थिक तंगी या कुछ जरूरी घरेलू खर्चों के लिए रकम की मांग को दहेज़ की मांग नहीं कहा जा सकता है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 304-B और Evidence Act की धारा 113-B में उल्लिखित ‘मौत से कुछ समय पहले ही’ का अर्थ है कि यहाँ पर एक निश्चित और जीवंत सम्बन्ध होना चाहिए यानी की दहेज़ की मांग पर आधारित क्रूरता और सम्बन्ध हत्या के बीच में साफ़ तौर पर दिखाई देने वाला कार्य-कारण सम्बन्ध होना चाहिए. दोनों, यानी हत्या और प्रताड़ना के बीच में अधिक समयांतराल नहीं होना चाहिए.
दिलीप कुमार
अधिवक्ता
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