यह कहानी अपने पति की संपत्ति में उचित हक तलाशती पत्नी (रूपा), पति (राजू) और 08 वर्ष की बेटी (दीपा) की है (सभी नाम काल्पनिक है)। राजू और रूपा दोनों सामान्य परिवार में पैदा हुए थे। दोनों पढ़ने – लिखने में काफी होशियार थे। दोनों की परिचय पढ़ाई के दौरान हुई थी। दोनों की जाति भी अलग-अलग है। दोनों ने अपने-अपने परिवार के ईच्छा के विरुद्ध कोर्ट मैरेज किया था। शादी के महज तीन माह के अंदर ही राजू का बैंक में अधिकारी के रूप में और रूपा का क्लर्क के रूप में चयन हो गया। कुछ दिनों पश्चात रूपा, “दीपा की” माँ बनी। दीपा का पालन पोषण सही तरीके से हो इसके लिए रूपा, अपने पति के निर्देशानुसार बैंक की नौकरी छोड़ दी। वह पूर्ण जबाबदेही के साथ अपने घर का सम्पूर्ण कार्य करती थी, दीपा का अच्छे ढंग से पालन-पोषण करती थी। घर का प्रत्येक कार्य जैसे झाड़ू-पोंछा, पति का कपड़ा धोना, उनके लिए समय पर नास्ता-भोजन बनाना इत्यादि कार्य को वह अपना कार्य समझकर करती थी। इसीबीच राजू का प्रमोशन हो गया, उसे अच्छी-खासी सैलरी मिलने लगी। राजू शहर में दो जगह फ्लैट भी खरीद लिया। राजू और रूपा के खुशहाल जीवन का आठवां वर्ष था जब दोनों के जीवन में भूचाल आ गया। राजू एक लड़की के प्रेमजाल में फंस गया। राजू अपना कदम तलाक की ओर बढ़ा देता है। प्रस्तुत है राजू और रूपा के बीच बात-चीत का अंश:-
राजू (रूपा से) : – मुझे तलाक चाहिए।
रूपा: – हमदोनों ने love-marriage किया है। शादी, तलाक के लिए नही किया था दोनों ने।
राजू: – मुझे तलाक और केवल तलाक चाहिए।
रूपा: – मैं तुम्हें प्रसन्न देखना चाहती हूँ राजू, यदि तुम तलाक से प्रसन्न रहोगे तो मैं इसके लिए भी तैयार हूँ।
दोनों वकील के पास जाते है। वकील की बात सुनकर रूपा के पैड़ों तले धरती खिसक जाती है।
वकील: – आप दोनों सहमति से तलाक ले लीजिए, इसमें छः महीने का समय लगेगा।
रूपा: – संपत्ति का क्या होगा?
वकील: – आप दोनों हिन्दू है, सम्पूर्ण संपत्ति राजू की स्वयं की अर्जित संपत्ति है, अतः उसमें आपको कोई हक नही है।रूपा: – मुझे राजू की संपत्ति में मेरा कोई हक नहीं है! तो किसका हक है वकील साहब?
वकील:- हिन्दू विधि के अनुसार पत्नी के रूप में आप अपने पति से केवल भरण-पोषण ही प्राप्त कर सकती है। संपत्ति में या तो विधवा या फिर माँ के रूप में ही अधिकार है।
रूपा:- वकील साहब, यह तो बहुत गलत कानून है!
वकील:- कानून की स्थिति यही है, मैडम।
रूपा :- वकील साहब राजू की सफलता में मेरी अहम भूमिका है। मैं राजू को अपना अभिन्न अंग माना है तभी तो राजू के कहने पर मैंने अपनी नौकरी छोड़ दिया था ताकि मैं राजू का पूरा ख्याल रख सकूँ और वह दिन-प्रतिदिन सफलता की सीधी पर चढ़े। यदि मैं अपने पति का पूर्ण ख्याल नहीं रखती तो राजू आज वहाँ नहीं होता जहां वह आज है और “आप कह रहे है कि राजू की संपत्ति मे मेरा हिस्सा नहीं है”।
वकील:- मैंने आपको कानून की स्थिति बताया है, मैडम।
रूपा उदास होकर लौट आती है। वह कुछ निर्णय की स्थिति में नही थी। इसीबीच रूपा को महिला अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था Ram Yatan Sharma Memorial Trust Muzaffarpur (disputeeater.in) के बारे में पता चला। वह ट्रस्ट के कार्यालय में आती है। प्रस्तुत है रूपा और ट्रस्ट के बीच बात-चीत का अंश:-
रूपा: – मुझे शादी के बाद पति द्वारा अर्जित संपत्ति में हक प्राप्त करने के लिए क्या करना होगा?
ट्रस्ट:- जब तक हिन्दू विधि में संशोधन नहीं होगा, तब-तक यह संभव नही हैं।
रूपा: – हिन्दू विधि में संशोधन करवाने के लिए क्या करना होगा?
ट्रस्ट: – यह कार्य बहुत कठिन है।
रूपा: – कठिन है या असंभव है?
ट्रस्ट:- असंभव तो नहीं है मैडम।
रूपा: – आप मुझे बताए, मुझे क्या करना होगा।
ट्रस्ट: – कानून में संशोधन करने का कार्य संसद का है। हाँ आप अपनी बात सरकार तक पहुंचा सकती है। आपको अपनी मांग मजबूती के साथ सरकार तक पहुँचानी होगी, यदि सरकार द्वारा आपकी बात मान ली जाती है और कानून में समुचित संशोधन हो जाता है तभी आपको अपने पति की संपत्ति में हिस्सा मिल सकेगा।
रूपा एक शक्तिशाली महिला है, वह तलाक का इरादा त्याग देती है और अपने साथ-साथ अन्य महिलाओं को न्याय दिलाने और हिन्दू विधि में संशोधन होने तक तलाक न देने का प्रण लिया है, परंतु इस मामले में अवला है। क्या आप भी रूपा के कथन से सहमत है? रूपा का सीधा सवाल है कि “तलाक की स्थिति में पति द्वारा अर्जित वैसी संपत्ति जिसको पति ने शादी के बाद अर्जित किया है, में पत्नी को भी उचित हिस्सा मिलना चाहिय”। यदि आपकी नजर में रूपा की मांग जायज है, तो कानून में जरूरी संशोधन करवाने के लिए रूपा की आवाज को सरकार तक पहुँचानें में सहयोग करें। याद रखिए, आपके द्वारा किया गया एक कॉमेंट या शेयर, रूपा जैसी लाखों लड़की को न्याय दिलवानें की शक्ति रखता है।
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