• Home
  • About
  • Our Aim
  • Team
  • Photos
  • We Contribute
  • Online Appointment
  • Donate Us
  • FAQs
  • Contact
Menu
  • Home
  • About
  • Our Aim
  • Team
  • Photos
  • We Contribute
  • Online Appointment
  • Donate Us
  • FAQs
  • Contact
Search
Close
Home Latest Articles

विवाह प्रमाण-पत्र का कानूनी महत्व।

Adv. Dilip Kumar by Adv. Dilip Kumar
November 30, 2024
in Latest Articles
0
विवाह प्रमाण-पत्र का कानूनी महत्व।
  • Facebook
  • Twitter
  • Pinterest
  • LinkedIn
  • WhatsApp

विवाह प्रमाणपत्र एक कानूनी दस्तावेज़ है जो एक शादी को वैधता प्रदान करता है और दोनों पति-पत्नी के अधिकारों की रक्षा करता है। यह न केवल विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है, बल्कि सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2006 में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके सामाजिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से विवाह पंजीकरण को अनिवार्य घोषित किया था। इसके बाद, विवाह प्रमाणपत्र को वैधता और अधिकारों का महत्वपूर्ण प्रमाण मानते हुए इसे अनिवार्य कर दिया गया।

मैरिज सर्टिफिकेट क्यों होना चाहिए?

  1. कानूनी सबूत: विवाह प्रमाण-पत्र विवाह का कानूनी सबूत होता है। यह महिलाओं को कानूनी अधिकार प्रदान करता है और विवाह संबंधी विवादों में उनका पक्ष मजबूत बनाता है।
  2. वीजा और इमिग्रेशन: विदेश यात्रा के लिए वीजा और इमिग्रेशन प्रक्रिया में पति-पत्नी के रिश्ते को प्रमाणित करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र अनिवार्य होता है। बिना विवाह प्रमाणपत्र के विदेश में साथ रहने या यात्रा करने में समस्याएं आ सकती हैं।
  3. बैंक और बीमा लाभ: यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके जीवन बीमा, बैंक जमा, या पेंशन योजना के लाभ केवल उसके पत्नी और बच्चों को मिल सकते हैं। बिना विवाह प्रमाणपत्र के, इन लाभों का दावा करना कठिन हो जाता है।
  4. वित्तीय अधिकार: पेंशन योजनाओं, संपत्ति विवादों और अन्य वित्तीय लाभों का दावा करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र आवश्यक होता है। यह दंपती के बीच कानूनी अधिकारों की पुष्टि करता है और भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचने में मदद करता है।
  5. विवाह की वैधता: तलाक, संपत्ति विवाद, या उत्तराधिकार के मामलों में विवाह प्रमाणपत्र एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में काम करता है। यह साबित करता है कि दोनों व्यक्ति कानूनी रूप से विवाह के बंधन में बंधे हुए हैं।
  6. बच्चों की वैधता: यदि पति-पत्नी के सरनेम अलग हैं, तो विवाह प्रमाणपत्र बच्चों की वैधता प्रमाणित करने में मदद करता है। यह बच्चों को उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने का एक सशक्त उपाय है।
  7. महिलाओं का सुरक्षा कवच: विवाह प्रमाणपत्र महिलाओं के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, क्योंकि यह उन्हें विवाह से संबंधित धोखाधड़ी, धोखा और अवैध गतिविधियों से बचाता है। इसके बिना महिलाएं अक्सर अपने अधिकारों से वंचित हो सकती हैं।

यदि विवाह प्रमाणपत्र नहीं होगा तो क्या समस्याएं हो सकती हैं?

  1. विदेश यात्रा में कठिनाइयाँ: यदि पति-पत्नी विदेश यात्रा या बसने की योजना बना रहे हैं, तो विवाह प्रमाणपत्र प्रस्तुत न कर पाने पर वीजा और इमिग्रेशन प्रक्रियाओं में दिक्कतें आ सकती हैं।
  2. वित्तीय लाभों का दावा करने में कठिनाई: बैंक जमा, जीवन बीमा या पेंशन योजनाओं के तहत एक विवाहित व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चों को नामांकित कर सकता है। बिना विवाह प्रमाणपत्र के, इन लाभों का दावा करना बेहद कठिन हो सकता है।
  3. संपत्ति और अधिकारों का विवाद: पति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर महिला के अधिकारों और दावों को सामान्यतः विवाह की वैधता पर चुनौती दी जा सकती है। विवाह प्रमाणपत्र के बिना, महिला को अपने अधिकारों की रक्षा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  4. धोखाधड़ी और अवैध विवाह: कई मामलों में, बिना किसी धार्मिक या कानूनी प्रक्रिया के विवाह करने या धोखाधड़ी से जुड़े विवाह की घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे मामलों में विवाह प्रमाणपत्र के अभाव में महिलाओं को अपनी स्थिति प्रमाणित करने में कठिनाई होती है और वे अपने कानूनी अधिकारों से वंचित हो सकती हैं।

निष्कर्ष: –
विवाह प्रमाणपत्र केवल एक दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के कानूनी अधिकारों का सुरक्षा कवच है। यह न केवल व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन की कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः प्रत्येक नवविवाहित दंपती के लिए विवाह प्रमाणपत्र बनवाना आवश्यक है।

✍ डिस्प्यूट-ईटर

Adv. Dilip Kumar

  • Facebook
  • Twitter
  • Pinterest
  • LinkedIn
  • WhatsApp
Previous Post

“डिस्प्यूट-ईटर”: एक अनूठी सोच

Next Post

एक प्राइवेट शिक्षक की संघर्षगाथा

Adv. Dilip Kumar

Adv. Dilip Kumar

Next Post
एक प्राइवेट शिक्षक की संघर्षगाथा

एक प्राइवेट शिक्षक की संघर्षगाथा

Discussion about this post

Cases Resolved by the DE

Full-Stop No. 18/2025 (Family-Dispute)

Full-Stop No. 18/2025 (Family-Dispute)

by Adv. Dilip Kumar
May 6, 2025
0

Dispute-Eater Run & managed by Ram Yatan Sharma Memorial Trust...

Full Stop No. 17/2025 (Property – Dispute)

Full Stop No. 17/2025 (Property – Dispute)

by Adv. Dilip Kumar
April 11, 2025
0

Dispute-Eater Run and managed by Ram Yatan Sharma Memorial Trust...

Full-Stop No. 16/2025 (Family-Dispute)

Full-Stop No. 16/2025 (Family-Dispute)

by Adv. Dilip Kumar
April 3, 2025
0

Dispute-Eater Run & managed by Ram Yatan Sharma Memorial Trust...

Load More

Latest Articles on DE

कैमरे के फ़्लैश में धुंधले होते वैवाहिक संस्कार।

कैमरे के फ़्लैश में धुंधले होते वैवाहिक संस्कार।

by Adv. Dilip Kumar
April 21, 2025
0

"कैमरे के फ़्लैश में धुंधले होते वैवाहिक संस्कार" भारत में...

दाम्पत्य संबंध या तलाक, किधर जा रहे है आप।

दाम्पत्य संबंध या तलाक, किधर जा रहे है आप।

by Adv. Dilip Kumar
April 6, 2025
0

लिषा, एक सुंदर और बुद्धिमान लड़की, का जन्म मुजफ्फरपुर जिले...

“डिस्प्यूट-ईटर: पारिवारिक विवादों में निःशुल्क सहायता की एक नई उम्मीद”

“डिस्प्यूट-ईटर: पारिवारिक विवादों में निःशुल्क सहायता की एक नई उम्मीद”

by Adv. Dilip Kumar
February 23, 2025
0

प्रत्येक रविवार को मैं अपने गाँव छपरा मेघ जाता हूँ,...

Judgement from the Court

संयुक्त वसीयत की स्थिति में वसीयत का प्रावधान केवल मृतक वसीयतकर्ता की संपत्ति तक ही सीमित होगा जीवित वसीयतकर्ता की संपत्ति पर प्रभावी नहीं होगा-  केरल उच्च न्यायालय।

संयुक्त वसीयत की स्थिति में वसीयत का प्रावधान केवल मृतक वसीयतकर्ता की संपत्ति तक ही सीमित होगा जीवित वसीयतकर्ता की संपत्ति पर प्रभावी नहीं होगा-  केरल उच्च न्यायालय।

January 7, 2023
बहू को है सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार – सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,  

बहू को है सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार – सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,  

September 19, 2022
नोटरी विवाह/तलाक दस्तावेजों को निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं: – MP HC

नोटरी विवाह/तलाक दस्तावेजों को निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं हैं: – MP HC

November 24, 2021
Load More
  • Home
  • About
  • Our Aim
  • Team
  • Photos
  • We Contribute
  • Online Appointment
  • Donate Us
  • FAQs
  • Contact
  • Home
  • About
  • Our Aim
  • Team
  • Photos
  • We Contribute
  • Online Appointment
  • Donate Us
  • FAQs
  • Contact
Facebook Twitter Youtube Linkedin
© 2019-2022 – Dispute Eater

Run & Managed by – RAM YATAN SHARMA MEMORIAL TRUST®

made with love at Ambit Solutions (7488039982)
WhatsApp chat