“डिस्प्यूट-ईटर” एक अनूठी पहल है, जो राम यतन शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट, मुजफ्फरपुर द्वारा संचालित की जाती है। इस पहल के संस्थापक श्री दिलीप कुमार हैं, जो बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले के दीवानी और पारिवारिक विधि के प्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं। “डिस्प्यूट-ईटर” का उद्देश्य अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करना और नागरिकों के बीच विवादों को प्रभावी तरीके से सुलझाना है। राम यतन शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट दुनिया में अपने तरह का पहला ट्रस्ट है जो न्यायालयों में चल रहे लंबित मामलों को समाधान की ओर पहुंचाने का काम कर रहा है, ताकि न्यायपालिका पर अनावश्यक दबाव को कम किया जा सके।
संस्थापक का दृष्टिकोण
श्री दिलीप कुमार, जिनका गहरा अनुभव दीवानी और पारिवारिक विधि में है, उन्होंने महसूस किया कि अदालतों में चल रहे कई विवादों का समाधान कोर्ट कक्ष के बाहर भी संभव है। कई बार लंबी सुनवाई और न्यायिक प्रक्रिया के कारण मामले समाधान से दूर रह जाते हैं, जिससे न केवल पक्षकारों को मानसिक कष्ट होता है, बल्कि न्यायपालिका पर भी अत्यधिक बोझ बढ़ता है। श्री कुमार ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए “डिस्प्यूट-ईटर” पहल की शुरुआत की, जो मध्यस्थता और संवाद के माध्यम से विवादों को सुलझाने की कोशिश करती है।
“डिस्प्यूट-ईटर” की कार्यप्रणाली
“डिस्प्यूट-ईटर” पहल का मुख्य उद्देश्य कोर्ट में लंबित मामलों को कम करना है। इसके अंतर्गत, लोगों के बीच उत्पन्न होने वाले विभिन्न प्रकार के विवादों (जैसे पारिवारिक मुद्दे, संपत्ति विवाद, समझौता योग्य आपराधिक वाद, आदि) को सुलझाने के लिए मध्यस्थता और संवाद के उपाय अपनाए जाते हैं। ट्रस्ट द्वारा प्रशिक्षित और सक्षम मध्यस्थों की एक टीम इन विवादों को शांति और समझदारी से सुलझाने का कार्य करती है, ताकि पक्षकारों को अदालतों की लंबी और खर्चीली प्रक्रिया से बचाया जा सके।
मध्यस्थता (Mediation) की प्रक्रिया में, दोनों पक्षों को बिना किसी दबाव के बैठाकर और उनके मुद्दों को समझकर समाधान खोजा जाता है। इस प्रक्रिया से न केवल विवाद सुलझता है, बल्कि दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का अवसर भी मिलता है, जिससे वे एक समझौते तक पहुँच सकते हैं।
न्यायालय पर बोझ को कम करना
भारत में न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विशेषकर दीवानी और पारिवारिक मामलों में यह संख्या चिंताजनक स्तर तक पहुँच चुकी है। इस बढ़ते मुकदमेबाजी के कारण न केवल न्यायिक प्रणाली पर दबाव बढ़ता है, बल्कि नागरिकों को न्याय प्राप्त करने में भी सालों लग सकते हैं। “डिस्प्यूट-ईटर” जैसी पहल इस समस्या का समाधान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस पहल के माध्यम से न केवल अदालतों पर बोझ कम किया जा रहा है, बल्कि लोगों को जल्दी और सस्ता न्याय भी मिल रहा है। श्री दिलीप कुमार का मानना है कि यदि हम पहले से ही विवादों को शांतिपूर्वक और समझदारी से सुलझाने की कोशिश करें, तो अदालतों में मामलों की संख्या कम हो सकती है और न्यायिक प्रक्रिया अधिक सुलभ हो सकती है।
सामाजिक प्रभाव
“डिस्प्यूट-ईटर” पहल का सामाजिक प्रभाव भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह पहल समाज में शांति और समरसता को बढ़ावा देती है। जब लोग अपने विवादों को कानूनी प्रक्रिया से पहले शांतिपूर्वक सुलझाने के लिए तैयार होते हैं, तो इससे समाज में सहिष्णुता और सहमति की भावना को बढ़ावा मिलता है। इस पहल के माध्यम से, समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद को बढ़ावा मिलता है और किसी भी प्रकार के झगड़े या विवाद को सुलझाने का एक सकारात्मक माहौल बनता है।
निष्कर्ष
“डिस्प्यूट-ईटर” राम यतन शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट की एक अभिनव पहल है, जो न केवल न्यायपालिका पर दबाव को कम करती है, बल्कि समाज में शांति और सामंजस्य की भावना को भी बढ़ावा देती है। श्री दिलीप कुमार के नेतृत्व में इस पहल ने साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन और संवाद के माध्यम से किसी भी विवाद का समाधान संभव है। इस पहल का उदाहरण अन्य राज्यों और देशों के लिए भी एक आदर्श हो सकता है, जो अपने न्यायिक सिस्टम में सुधार लाने की दिशा में काम कर रहे हैं। “डिस्प्यूट-ईटर” न केवल न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाता है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
✍ डिस्प्यूट-ईटर











Discussion about this post