कुछ दिन पहले की बात है. मैं एक संपत्ति विवाद का समझौता द्वारा समाप्त करने की उम्मीद लेकर विवाद के एक पक्षकार के यहाँ पंहुचा. कुछ इंतजार के बाद जिनसे मिलने के लिए गए थे उनसे मुलाकात हुई. बात-चीत प्रारंभ हुई. इसी बीच एक बुजुर्ग आ गये. परिचय और उद्देश्य जानकर वे काफी खुश हुए. उन्होंने उक्त विवाद में पीछे की घटना का हवाला देकर समझौता का प्रयास त्याग देने का आग्रह किया. मैं भी बात को आगे न बढ़ाना ही बेहतर समझा. परन्तु मैं जिनसे मिलने गया था, उनको मेरा उनके यहाँ जाना, बिल्कुल अच्छा नहीं लगा क्यूंकि वे अमीर पिता के पुत्र है. उनके द्वारा सवाल किया गया कि समझौता कराने का आईडिया कहा से आया? परन्तु उनका आशय यह पूछने का था कि “आपको इतनी बड़ी संपत्ति और इतने बड़े-बड़े लोगो के बीच समझौता कराने की हिम्मत कैसे हुई?” उनके मुंह से निकले शब्द की दुर्गंध भांपकर मैं अपनी बात समाप्त करना ही बेहतर समझा.
ट्रस्ट का मूल उद्देश्य समझौता कराकर समाज में शांति स्थापित कराना है. यह सेवा पूर्णतः निःशुल्क है. मैं आप (विवाद के दोनों पक्ष) दोनों पक्षों के बीच शांति स्थापित हो इस उद्देश्य से अपने खर्च पर जाता हूँ, अपना समय देता हूँ, आपसे मिलने के लिए घंटो इंतजार करता हूँ. मैं आपसे सम्मान की कोई उम्मीद नहीं रखता हूँ. परन्तु मेरा एक सवाल है क्या आपको अपमानित करने का हक़ है?
✍ दिलीप कुमार
Discussion about this post