पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा और इकलौता भाई है वह। सबसे बड़ी बहन शादी के बाद भी मायेके में ही रहती थी। अन्य बहन शादी के बाद अपनी-अपनी ससुराल में रहने लगी। भाई की भी शादी हो गई और शादी के कुछ ही दिनों बाद माता-पिता की मृत्यु हो गयी थी. अब भाई और बहन में विवाद प्रारंभ हो गया. भाई नें बहन को अपने पैतृक घर से निकाल दिया. इसीबीच हिन्दू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम 2005 अस्तित्व में आ गया था. बहन ने अपने अधिकार के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. मामला लगभग 11 वर्षो तक न्यायालय में लंबित रहा. वर्ष 2019 यह मामला राम यतन शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट मुजफ्फरपुर द्वारा संचालित “डिस्प्यूट-ईटर” के संज्ञान में आया. ट्रस्ट नें पहले बहन से संपर्क किया: –
ट्रस्ट: – आप अपने भाई को राखी बांधती है या नहीं?
बहन: – राखी बांधे 12 वर्ष बीत गए.
ट्रस्ट: – क्या आप इस वर्ष राखी बंधना पसंद करेंगी?
बहन: – यदि ऐसा हो जाये तो मुझे ख़ुशी होगी. (बहन की आखें भर आई)
अब ट्रस्ट उस भाई से जो दुसरे शहर में रहता है, फ़ोन पर संपर्क साधा और ट्रस्ट के कार्यालय में आने का अनुरोध किया. परन्तु भाई ने ट्रस्ट कार्यालय में आने से पूर्णतः मना कर दिया. तात्पश्तात ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया कि भाई के शहर में जाकर ही उससे बात किया जाये. ट्रस्ट कुछ सम्मानित व्यक्तियों के साथ भाई से शहर में पहुँचा. काफी इन्तजार के बाद भाई से मुलाकात हुई.
ट्रस्ट:- ……. आपकी बहन है?
भाई: – जी हाँ.
ट्रस्ट:- बहन बड़ी है?
भाई:- जी हाँ.
ट्रस्ट:- आप एक बार अपनी बहन से फ़ोन पर बात करना पसंद करेंगे?
भाई: – नंबर मेरे पास नहीं है.
ट्रस्ट:- मैं नंबर देता हूँ.
भाई:-. दीजिये (भारी मन से) भारी मन से अपनी बहन को फोन लगाया.
बहन फ़ोन उठाई, बहन के मोबाइल में भाई का नंबर save था.
भाई:- दीदी गोरलगईछिऔ.
बहन:- खुश रहा.
भाई: – कुछ बोल नहीं पा रहा था, उसके आखों में आंसू भर गया था. ओठ हिल रहे थें, परन्तु आवाज नहीं निकल रहा था. भाई रुमाल से केवल अपनी आंखों को पोछ रहा था. बहन का हाल भाई से भी बुरा था. दोनों लगभग 2-3 मिनट तक रोते रहे. और फिर ……..
भाई: – दीदी, इ राखी में हम तोहरा कन अबईछी.
बहन: – आ… न.. हम त 12 साल से इंतजार करैछी.
रक्षा बंधन में भाई अपनी बहन के पास गया, केवल दीदी गोरलगईछिऔ कहने मात्र से सम्पूर्ण विवाद समाप्त हो गया. बहन बिना किसी शर्त के अपना वाद वापस ले लिया. 12 वर्ष से भाई और बहन जो एक दुसरे के आमने-सामने थें (ट्रस्ट के प्रयास से) दोनों पुनः एक दुसरे के हो गए. चूँकि बहन ने अपना स्वयं का मकान बना लिया था अतः उसे अब अपने भाई के मकान की कोई आवयश्कता नहीं रही.
✍ डिस्प्यूट-ईटर
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