माननीय पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ द्वारा यह ऐतिहासिक टिप्पणी की गई है कि अग्रिम जमानत आवेदन उच्च न्यायालय में लंबित रहने को आधार बनाकर नियमित जमानत आवेदन पर सुनवाई न करना अनुचित है, वह अवमानना का मामला बन सकता है। माननीय न्यायमूर्ति द्वारा अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस महामारी की अवधि के दौरान केवल उपरोक्त कारण से अगर जेल में कोई व्यक्ति पीड़ित है, तो यह न केवल एक अभियुक्त के संवैधानिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि न्यायिक अनुशासनहीनता का भी मामला है।
न्यायालय की यह टिप्पणी याचिकाकर्ता राहुल कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई थी। दरअसल, याचिकाकर्ता को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, हालाँकि उसकी गिरफ्तारी के समय उसके द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल अग्रिम जमानत का आवेदन सुनवाई हेतु लंबित था। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब एक बार कोई व्यक्ति किसी मामले में गिरफ्तार हो जाता है, तब उसके द्वारा पूर्व में दाखिल अग्रिम जमानत के आवेदन का कोई मतलब नहीं रह जाता है और वह आवेदन स्वतः निष्प्रभावी हो जाता है। मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने अदालत को यह बताया कि उसके द्वारा निचली अदालत में दाखिल नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई केवल इसीलिए नहीं हो पा रही है कि उसकी तरफ से अग्रिम जमानत आवेदन श्रीमान के न्यायालय में लंबित है। याचिककर्ता के अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि निचली अदालत द्वारा इस याचिकाकर्ता की नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत की आवेदन लंबित है। पीठ ने कहा कि मैंने अभी तक ऐसी बेतुकी प्रार्थना नहीं सुनी थी। पीठ नें रजिस्ट्रार जनरल को यह निर्देशित किया कि वे इस आदेश की प्रति को सभी जिला और सत्र न्यायाधीशों को भेजकर सर्कुलेट करें, तथा सभी न्यायालय के न्यायिक अधिकारीयों के संज्ञान में लाएंगे।
Kindly click the link below for detailed order: –
https://drive.google.com/file/d/1kAh_9CFS6xgK2rGdNPkL-y1Dct8DO0FP/view
Discussion about this post