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Full-Stop No. 09/2025 (Family-Dispute)

Adv. Dilip Kumar by Adv. Dilip Kumar
April 1, 2025
in Resolve by DE
0
Full-Stop No. 09/2025 (Family-Dispute)
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Dispute-Eater
Run & managed by
Ram Yatan Sharma Memorial Trust
Muzaffarpur
Full-Stop No. 09/2025
(
Family-Dispute)

Date of Compromise: – 02.03.2025
Name of the Court:- Principal Judge, Family Court, Muzaffarpur.

  1. Matrimonial Case No. 667/2023 Pending in the court of the principal judge, Family Court Muzaffarpur u/s 09 of the HM Act.
  2. Complaint Case No. 4816/2023 filed by the wife against her husband and other family members u/s 12 of the DV Act, the same is pending in the court of CJM Muzaffarpur.
  3. Complaint case No. 1459/2024 filed by the father wife against her husband and others, the same is pending in the court of Court No. 14 JMFC East Muzaffarpur.
  4. Matrimonial Case No. 143/2024 u/s 13 (1)(i)(a) of HM Act pending in the court of Principal Judge, family court, Muzaffarpur.
  5. O.S 1689/2023 Under Order 07 Rule 01 of CPC  Pending before Hon’ble IV Addl Principal Senior Civil Judge Bangalore.
  6. O.S 264/2023 Filed Under order 39 Rule 01 & 02 of the CPC against Petitioner no. 02 and the same is pending in the court of IV Hon’ble Additional Judge, Family Court Bengaluru.
  7. PCR 57605/2023 U/S 499 and 500 of IPC pending before 29 Add CJM Mayo Hall Bengaluru.
  8. PCR 50140/2024, Crime No. 0251/2024 in HAL PS,  U/S 200 of Cr.P.C. pending before 29 Add CJM Mayo Hall Bengaluru.
  9. DV. Appeal No. 01/2025 filed by the mother of the husband (Petitioner No. 01) against the wife (Petitioner No. 02) and the same is pending before the Hon’ble Court of ADJ 01 Muzaffarpur.
  10. Matrimonial Case No. 116/2025 u/s 13B of the Hindu Marriage Act. Principal Judge, Family Court Muzaffarpur
    Name of the Husband: – MR. xxxxxxx, Aged about: 34 years S/o-  Late xxxxxx Kumar, R/at xxxxxxx, Sadpura Colony, Aghoriya Bazar S:- Kajimohammadpur, Dist:- Muzaffarpur-842002.
    Smt xxxxxxx Ojha, Mother of the xxxxxx, the appellant of DV Appeal No. 01/2025 pending in the court of Hon’ble Additional District & Session Judge, 01st Muzaffarpur
    Name of the Wife:- xxxxxxxx, W/o- Utkarsha, D/o- xxxxxxx, aged about 32 years R/at- Residing at Ward No.- xxxxx, House No:- xxxxxx  xxxxxx Colony, Aghoriya Bazar S:- Kajimohammadpur, Dist:- Muzaffarpur- 842002.
    xxxxxxxx, the father of xxxxxxx, the complainant of Complaint Case No. 1459/2024
  1. Full-Stop No. 03/2025
  2. Full-Stop No. 04/2025
  3. Full-Stop No. 05/2025
  4. Full-Stop No. 06/2025
  5. Full-Stop No. 07/2025
  6. Full-Stop No. 08/2025
  7. Full-Stop No. 09/2025
  8. Full-Stop No. 10/2025
  9. Full-Stop No. 11/2025
  10. Full-Stop No. 12/2025

“डिस्प्यूट-ईटर” के द्वारा सैकड़ों विवादों को पूर्ण-विराम तक पहुँचाया जा चुका है, लेकिन पूर्ण-विराम संख्या 03-12 अपने आप में विशेष और अनोखा है। सामान्यत: जब दो पक्षों के बीच विवाद होता है, तो “डिस्प्यूट-ईटर” दोनों पक्षों से संपर्क करता है। कभी दोनों पक्ष एक साथ “डिस्प्यूट-ईटर” के कार्यालय में बुलाए जाते हैं, जहाँ उनकी काउंसलिंग की जाती है और विवाद सुलझाने का प्रयास किया जाता है। यदि दोनों पक्ष फिजिकल रूप से उपस्थित नहीं हो पाते, तो उन्हें वर्चुअल माध्यम से काउंसलिंग दी जाती है।

लेकिन, पूर्ण-विराम संख्या 03-12 एक ऐसा मामला है, जिसमें “डिस्प्यूट-ईटर” ने किसी एक पक्ष से सीधे संपर्क नहीं किया। न तो फिजिकल, न ही वर्चुअल। इस मामले में केवल पत्नी के अधिवक्ता से संपर्क किया गया और इसके माध्यम से “डिस्प्यूट-ईटर” ने दोनों पक्षों के बीच चल रहे 10 विवादों को सफलतापूर्वक पूर्ण-विराम तक पहुँचाया।

यह दोनों दंपति, जो एक निजी कंपनी में उच्च पदों पर कार्यरत हैं, एक पढ़े-लिखे परिवार से आते हैं। उनकी शादी 22 नवम्बर 2019 को मुजफ्फरपुर में संपन्न हुई थी। पति के अनुसार वह एक मध्यम वर्गीय व्यक्ति है और शादी के कुछ ही दिनों बाद उसकी पत्नी ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इस कारण उसने बैंगलोर में स्थित परिवार न्यायालय में विवाह विच्छेद का मामला दायर किया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार यह मामला मुजफ्फरपुर के परिवार न्यायालय में स्थानांतरित हुआ और वहाँ पर इसका लंबित निर्णय था। पत्नी और उनके पिता ने भी मुजफ्फरपुर में कुछ वाद दायर किए थे।

पत्नी और उनके परिवार की ओर से पति या उनके परिवार के सदस्य के विरुद्ध प्रस्तुत किए गए वाद निम्नलिखित है: –

  1. Matrimonial Case No. 667/2023 Pending in the court of principal judge Family Court Muzaffarpur u/s 09 of the HM Act.
  2. Complaint Case No. 4816/2023 filed by the wife against her husband and other family members u/s 12 of the DV Act, the same is pending in the court of CJM Muzaffarpur.
  3. Complaint case No. 1459/2024 filed by the father wife against her husband and others, the same is pending in the court of Court No. 14 JMFC East Muzaffarpur.

पति और उनके परिवार की ओर से पत्नी या उनके परिवार के सदस्य के विरुद्ध प्रस्तुत किए गए वाद निम्नलिखित है: –

  1. Matrimonial Case No. 143/2024 u/s 13 (1)(i)(a) of HM Act pending in the court of Principal Judge, family court, Muzaffarpur.
  2. O.S 1689/2023 Under Order 07 Rule 01 of CPC  Pending before Hon’ble IV Addl Principal Senior Civil Judge Bangalore.
  3. O.S 264/2023 Filed Under order 39 Rule 01 & 02 of the CPC against Petitioner no. 02and the same is pending in the court of IV Hon’ble Additional Judge Family Court Bengaluru..
  4. PCR 57605/2023 U/S 499 and 500 of IPC pending before 29 Add CJM Mayo Hall Bengaluru.
  5. PCR 50140/2024, Crime No. 0251/2024 in HAL PS,  U/S 200 of Cr.P.C. pending before 29 Add CJM Mayo Hall Bengaluru.
  6. DV. Appeal No. 01/2025 filed by the mother of the husband (Petitioner No. 01) against wife (Petitioner No. 02) and the same is pending before the Hon’ble Court of ADJ 01 Muzaffarpur.

दोनों का संबंध इतना बिगड़ चुका था कि दोनों पक्षों के बीच विभिन्न न्यायालयों में कुल 09 मामले लंबित थे।

पति ने अंततः “डिस्प्यूट-ईटर” से संपर्क किया और पत्नी के अधिवक्ता का नाम भी प्रदान किया। “डिस्प्यूट-ईटर” ने इस मामले को सुलझाने के लिए अपनी विशिष्ट तकनीकों का उपयोग किया। सबसे पहले, उन्होंने पत्नी के अधिवक्ता से मुलाकात की और उनकी चिंताओं, शिकायतों और अपेक्षाओं को सुना। इसके बाद, “डिस्प्यूट-ईटर” ने एक संवाद का माहौल तैयार किया, जिसमें दोनों पक्षों को शांतिपूर्वक अपने विचार रखने का अवसर मिला।

वह जानते थे कि इस मामले में केवल कानूनी पहलू नहीं, बल्कि भावनात्मक पहलू भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, उन्होंने दोनों पक्षों के बीच विश्वास और समझ बनाने पर विशेष ध्यान दिया। इसके लिए, उन्होंने पत्नी के अधिवक्ता के माध्यम से एक समझौता प्रस्ताव भेजा, जिसमें दोनों पक्षों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर समझौता करने का सुझाव दिया गया था।

पत्नी के अधिवक्ता ने इस प्रस्ताव पर विचार किया और पति के साथ चर्चा की। “डिस्प्यूट-ईटर” की निरंतर मध्यस्थता के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे एक दूसरे की भावनाओं को समझना शुरू किया और यह महसूस किया कि केवल आपसी सहमति से ही वे इस कठिन समय से बाहर निकल सकते हैं।

अंततः, दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि वे आपसी समझ और सम्मान के साथ हमेशा के लिए अलग हो जाएंगे। इस निर्णय के साथ, उन्होंने यह भी तय किया कि सभी लंबित मामलों को समाप्त कर दिया जाएगा, ताकि दोनों पक्ष अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ सकें। “डिस्प्यूट-ईटर” के हस्तक्षेप और प्रयासों से यह न केवल कानूनी मुद्दा हल हुआ, बल्कि दोनों परिवारों के लिए एक नई शुरुआत का रास्ता भी खुला।

इस समझौते के तहत दोनों पक्षों के बीच नीचे लिखे विंदुओं पर सहमति बनी है:-

  1. सहमति से तलाक का आवेदन:-
    i. दोनों पक्ष परिवार न्यायालय, मुजफ्फरपुर में आपसी सहमति से तलाक की याचिका प्रस्तुत करेंगे।
  2. लंबित वाद:-
    1. दोनों पक्षों ने पुष्टि की है कि उपरोक्त वर्णित वादों के अतिरिक्त कोई अन्य वाद एक-दूसरे या उनके परिवार के सदस्यों के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में लंबित नहीं है।
  3. निर्धारित राशि का भुगतान :-
    i. पति द्वारा ₹ 20,51,000.00 (बीस लाख इक्यावन हजार रुपये) की राशि का एक बैंक ड्राफ्ट परिवार न्यायालय, मुजफ्फरपुर में जमा किया जाएगा।
    ii. इस राशि के अतिरिक्त पत्नी को पति से कोई अन्य वस्तु या स्त्रीधन प्राप्त नहीं करना है।
  4. भविष्य में किसी प्रकार का दावा नहीं :-
    I. पत्नी का पति के विरुद्ध कोई दावा शेष नहीं रहेगा।
    ii. भविष्य में भी पत्नी अपने पति के विरुद्ध किसी प्रकार का कोई दावा प्रस्तुत नहीं करेंगी।
  5. बैंक ड्राफ्ट की प्राप्ति :-
    i. 
    पत्नी सहमति से तलाक की डिक्री पारित होने के समय बैंक ड्राफ्ट प्राप्त करेंगी।
  6.  ससुराल जाने का अधिकार नहीं : –
    i. बैंक ड्राफ्ट प्राप्त करने के बाद, पत्नी को अपने ससुराल (सादपुरा कॉलोनी, अघोरिया बाजार, थाना – काजीमोहम्मदपुर, जिला – मुजफ्फरपुर) जाने का कोई अधिकार नहीं होगा।
    ii. इसी प्रकार, पति को भी अपने ससुराल जाने का कोई अधिकार नहीं होगा।
  7. लंबित मामलों का निपटारा : –
    i. 
    दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी है कि मुजफ्फरपुर एवं बेंगलुरु के न्यायालयों में लंबित सभी वादों को तलाक से पूर्व वापस ले लिया जाएगा या न्यायिक प्रक्रिया द्वारा समाप्त कर दिया जाएगा।
  8. भरण-पोषण एवं संपत्ति संबंधी कोई दावा नहीं : –
    i. 
    दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की है कि भविष्य में वे एक-दूसरे से किसी भी प्रकार की भरण-पोषण या गुजारा भत्ते की मांग नहीं करेंगे।
    ii. पति व पत्नी एक-दूसरे या उनके परिवार की चल-अचल संपत्तियों, संपत्तियों, एवं व्यक्तिगत वस्तुओं पर कोई दावा नहीं करेंगे।
    iii. भविष्य में दोनों में से कोई भी पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ किसी भी प्रकार का आपराधिक, दीवानी, या अन्य कोई भी मामला किसी भी न्यायालय, अधिकरण, फोरम, या प्राधिकरण के समक्ष दायर नहीं करेगा।
  9. व्यक्तिगत वस्तुओं पर कोई दावा नहीं : –
    I. दोनों याचिकाकर्ता यह स्वीकार करते हैं कि वे अपनी-अपनी व्यक्तिगत वस्तुओं, सामान, कपड़े, घरेलू सामान आदि के स्वामित्व में हैं और भविष्य में कोई भी दावा एक-दूसरे के खिलाफ नहीं करेंगे।
  10. आपसी सहमति एवं स्वतंत्र इच्छा : –
    I. 
    दोनों याचिकाकर्ता यह पुष्टि करते हैं कि इस याचिका को दायर करने और तलाक की डिक्री प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी, अनुचित दबाव या जोर-जबरदस्ती नहीं की गई है। वे अपनी स्वतंत्र इच्छा और स्वेच्छा से यह निर्णय ले रहे हैं।
  11. नाम, उपनाम, या पते का उपयोग नहीं :-
    I. 
    दोनों याचिकाकर्ता सहमत हैं कि वे और उनके परिवार के सदस्य एक-दूसरे के नाम, उपनाम, या पते का किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं करेंगे।
    ii. किसी भी प्रकार से एक-दूसरे की छवि को खराब नहीं करेंगे और उनके नाम व प्रतिष्ठा का दुरुपयोग नहीं करेंगे।
  12. व्यक्तिगत दस्तावेजों की गोपनीयता :-
    I. दोनों याचिकाकर्ता सहमत हैं कि वे और उनके परिवार के सदस्य, रिश्तेदार कभी भी किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत दस्तावेज, जैसे कि मेडिकल रिकॉर्ड, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, फोटो, वीडियो, ऑडियो, डिजिटल फाइलें या अन्य किसी भी हार्ड या सॉफ्ट कॉपी को साझा, वितरित या उपयोग नहीं करेंगे।
    ii. 
    दोनों पक्ष यह भी सुनिश्चित करेंगे कि वे एक-दूसरे, उनके परिवार, मित्रों, रिश्तेदारों, या उनके प्रतिनिधियों की छवि खराब करने या उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का कोई भी कार्य नहीं करेंगे।

इस प्रकार, “डिस्प्यूट-ईटर” ने इस पूरे विवाद को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया और दोनों पक्षों के बीच का व्याप्त विवाद पूर्ण-विराम तक पहुँच गया।

हस्ताक्षर डिस्प्यूट-ईटर
दिनांक 02.03.2025

Adv. Dilip Kumar

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