Dispute-Eater
Run and managed by
Ram Yatan Sharma Memorial Trust
Muzaffarpur.
Full Stop No. 02/2022
(Criminal – Dispute)
Date of Compromise- 24.04.2022
Court Case Details: –
न्यायालय का नाम: – अनुमंडल दंडाधिकारी पूर्वी मुजफ्फरपुर
परिवाद संख्या:- 542/2019
परिवादी का नाम:– श्री राम प्रसाद सुमन उम्र – 52 वर्ष, पुत्र स्वर्गीय राज बल्लभ भगत निवासी मोहल्ला/ग्राम – हरपुर अर्ररा, थाना – गोरौल, ज़िला –वैशाली।
अभियुक्तगण का नाम:-
1. श्रीमती गायत्री देवी उम्र 70 वर्ष लगभग W/o स्व० देवेंद्र प्रसाद सिन्हा
2. श्री नीरज कुमार
3. श्री पंकज कुमार
4. श्री पवन कुमार पुत्र स्व० देवेंद्र प्रसाद सिन्हा
5. श्री प्रभाष कुमार
सभी निवासी शंकर नगर नंद विवाह भवन के पीछे, पोस्ट- रमना, थाना – मिठनपुरा जिला- मुजफ्फरपुर, पिन- 84202.
प्रथम – पक्ष का कथन
प्रथम पक्ष का कहना है कि द्वितीय पक्ष ग्राम शेरपुर, थाना-सदर, जिला- मुजफ्फरपुर में स्थित खाता संख्या 47, खेसरा संख्या 122 की 04 कट्ठा भूमि का स्वामी है। प्रथम-पक्ष को आवासीय घर के निर्माण के लिए जमीन का एक टुकड़ा चाहिए था। उन्हें गवाहसे पता चला कि उक्त जमीन बिक्री के लिए है। प्रथम-पक्ष ने द्वितीय पक्ष से संपर्क किया और उक्त भूमि में से 01 कठ्ठा भूमि की बिक्री के लिए बात-चीत किया। प्रथम-पक्ष ने स्थल पर जाकर जमीन देखा। उक्त भूमि से एक कट्ठा भूमि पसंद किया। दोनों पक्षों की सहमति से उक्त भूमि की कीमत 20,00,000.00 रुपया प्रति कट्ठा के दर से तय किया गया। प्रथम – पक्ष ने द्वितीय-पक्ष के निर्देशानुसार नीरज कुमार के बैंक खाता में 4,00,000.00 (चार-लाख रुपया), प्रभाष कुमार के खाता में 3,00,000.00 (तीन लाख रुपया) और पवन कुमार के खाता में 2,00,000.00 (दो लाख) रुपया जमा किया। साथ-ही साथ उसने गायत्री देवी और पंकज कुमार को नगद क्रमशः 2,00,000.00 और 3,00,000.00 (दो लाख और तीन लाख रुपया नगद दिया। इस प्रकार प्रथम पक्ष नें कुल राशि 14,00,000.00 रुपया द्वितीय – पक्ष को दिया। प्रथम पक्ष को आश्वासन दिया कि भूमि को 31.01.2019 के भीतर केवाला कर दिया जाएगा। परंतु द्वितीय पक्ष नें निर्धारित समय के भीतर केवाला नहीं लिखा और प्रथम पक्ष का 14,00,000.000 (चौदह लाख रुपया) की ठगी कर लिया। अतः प्रथम पक्ष ने न्यायालय परिवाद पत्र संख्या 542/2019 है प्रस्तुत किया है जो वर्तमान में निष्पादन हेतु लंबित है।
द्वितीय – पक्ष का कथन
वहीं दूसरी ओर द्वितीय पक्ष का कहना है कि हिमांशु शेखर और अमर प्रकाश नामक व्यक्ति जमीन के दलाल हैं। उनके पास दलालों का एक गिरोह है। सबसे पहले, हिमांशु शेखर ने द्वितीय-पक्ष से संपर्क किया और उनसे उक्त भूमि को बेचने का अनुरोध किया। उसके साथ सौदे को अंतिम रूप दिया गया। उसने द्वितीय पक्ष और खरीदारों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई। खरीदार का पैसा सबसे पहले खरीदार के बैंक खाते से उसके गिरोह के सदस्यों के बैंक खाते में स्थानांतरित किया गया था। और फिर उक्त राशि को फिर से गिरोह के सदस्यों के व्यक्तिगत बैंक खाते से द्वितीय पक्ष के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में हिमांशु शेखर और अमर प्रकाश के बीच विवाद हो गया, इसलिए हिमांशु शेखर को उतना लाभ नहीं मिल सका, जितना उन्होंने उम्मीद की थी। इसलिए हिमांशु शेखर ने अवैध लाभ कमाने के मकसद से प्रथम पक्ष को मोहरा बनाकर यह वाद प्रस्तुत किया है। हिमांशु शेखर ने पहले प्रथम पक्ष के बैंक खाते का इस्तेमाल किया। द्वितीय पक्ष का यह भी कहना है कि दोंनो के बीच जमीन खरीद-बिक्री का कोई समझौता नहीं हुआ था। वे दोनों एक दूसरे को जानते तक नहीं हैं। द्वितीय पक्ष का पुनः कहना है कि हिमांशु शेखर और अमर प्रकाश के बीच 16.08.2018 & 31.12.2018 को समझौता हुआ था जिसमें यह स्वीकार किया गया था कि विभिन्न बैंक खातों से पैसा द्वितीय पक्ष के खाते में स्थानांतरित किया गया था।
समझौता के तथ्य
दोनों – पक्षों के बीच लंबित विवाद परिवाद पत्र संख्या 542/2019 को समाप्त करने हेतु आज दिनांक 24.04.2022 को प्रथम पक्ष और द्वितीय पक्ष के श्री पवन कुमार ट्रस्ट कार्यालय में उपस्थित हुए। दोनों-पक्ष के समक्ष समझौता हो गया जो निम्नलिखित है:-
- यह कि दोनों – पक्ष इस बात पर सहमत है कि दोनों के बीच जमीन खरीद – बिक्री की सिधी बात चीत नहीं हुई थी। दोनों पक्षों के बीच बात-चीत हिमांशु शेखर के माध्यम से हुई थी। प्रथम-पक्ष ने हिमांशु शेखर के निर्देशानुसार कुल नौ लाख रुपया अपने और अपने प्रतिष्ठान “प्रसाद खाद-बीज भंडार” के खाता से द्वितीय पक्ष के नीरज कुमार के बैंक खाता में 4,00,000.00 रुपया (चार-लाख रुपया), प्रभाष कुमार के बैंक खाता में 3,00,000.00 रुपया (तीन लाख रुपया) और पवन कुमार के बैंक खाता में 2,00,000.00 (दो लाख) के खाता में डाला था। प्रथम – पक्ष ने पाँच लाख रुपया नगद भी हिमांशु शेखर को ही दिया था। इसके अलावा प्रथम पक्ष ने और रुपया नगद हिमांशु शेखर को दिए हुए है।
- यह कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हो गए है कि द्वितीय-पक्ष के नीरज कुमार 4,00,000.00 (चार-लाख रुपया), प्रभाष कुमार 3,00,000.00 (तीन लाख रुपया) और पवन कुमार 2,00,000.00 (दो लाख) का बैंक ड्राफ्ट यानि कुल 9,000,000.00 रुपया (नौ लाख रुपया) का बैंक ड्राफ्ट पवन कुमार अपने बैंक खाता से बनवाकर संधि-पत्र के साथ न्यायालय में जमा कर देंगे और प्रथम पक्ष वाद के अंतिम निबटारा के समय न्यायालय के आदेश से उक्त बैंक ड्राफ्ट को प्राप्त कर लेंगे।
- यह कि पवन कुमार ने उक्त संधि-पत्र के अनुसार उक्त 9,000,000.00 रुपया (नौ लाख रुपया) का बैंक ड्राफ्ट UCO Bank से दिनांक 22.02.2022 को राम प्रसाद सुमन के नाम से बनवा लिया है जिसका क्रमांक 177151 है।
- यह कि जब तक न्यायालय में लंबित वाद परिवाद पत्र संख्या 542/2019 समाप्त नहीं हो जाता है तब-तक प्रथम पक्ष उक्त 9,00,000.00 रुपया उपयोग करने का अधिकारी नहीं होंगे।
- यह कि यदि प्रथम पक्ष उक्त 2,00,000.00 और 3,00,000.00 (दो लाख और तीन लाख रुपया) की मांग हिमांशु शेखर और अमर प्रकाश से करते है तो उसमें द्वितीय पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होगी।
- यह कि प्रथम पक्ष गायत्री देवी और पंकज कुमार से क्रमशः 2,00,000.00 और 3,00,000.00 (दो लाख और तीन लाख रुपया) की मांग कभी नहीं करेंगे। प्रथम-पक्ष को उक्त राशि की मांग करने के अधिकारी नहीं है।
- यह कि प्रथम – पक्ष परिवाद पत्र संख्या 542/2019 में वर्णित राशि के विरुद्ध भविष्य में किसी प्रकार का कोई वाद द्वितीय- पक्ष के विरुद्ध प्रस्तुत नहीं करेंगे।
दोनों पक्षों ने सहमति से अपने तन – मन की स्वस्थ्य अवस्था में अपने – अपने लाभ – हानि पर विचार करके बिना किसी दवाब के स्वेच्छा से एक – दुसरे के पक्ष में लिख दिया जिसपर दोनों इस दस्तावेज के प्रत्येक पृष्ट पर अपना – अपना हस्ताक्षर बनाया है, जिसकी सम्पुटी में गवाहों ने भी अपना – अपना हस्ताक्षर बनाया है, ताकि भविष्य में कोई विवाद उत्पन्न होने पर इसे प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। अत: यह दस्तावेज तीन मूल प्रति में तैयार किया गया है जिसकी एक-एक प्रति दोनों पक्षों के पास और एक प्रति ट्रस्ट कार्यालय में प्रमाण के लिए रहेगा।हस्ताक्षर
डिस्प्यूट ईटरदोनों पक्षों के बीच एक समझौता-पत्र भी तैयार किया गया जिसकी प्रति नीचे संलग्न है।
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