आज मैं व्यक्तियों की दो काल्पनिक सूची के बारे में लिख रहा हूँ। पहली सूची वैसे व्यक्तियों की है जिसके पास खुद का मकान है और दूसरी जो किराया पर रहने को मजबूर है। दूसरी सूची वाले व्यक्ति कठिन परिश्रम करते है ताकि उनको पहली सूची में स्थान मिल जाये। मैं भी पिछले 27 वर्षों से किराया पर रह रहा हूँ। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि किरायदार के प्रति समाज का नजरिया सम्मानजनक नहीं है। यह एक सच्चाई है कि मैं एक किरायदार हूँ, परंतु जब कभी भी मेरा परिचय अमुक व्यक्ति के किरायेदार के रूप में दिया गया, मुझे अच्छा नहीं लगा। शायद मेरे जैसा बहुतों किरायेदार को अच्छा नहीं लगता होगा! परंतु वे सुनने को मजबूर होंगें।
बहुत पहले की बात है दो व्यक्ति आपस में बात कर रहे थे। एक ने पूछा विधायिका नें “रैयत” और “किरायेदार” दोनों के लिए एक ही शब्द “Tenant” को क्यों अपनाया? दूसरे ने जबाव दिया लैन्ड्लॉर्ड और टीनेंट दोनों शब्द का संबंध भूमि या भवन के उपभोग के बदले निर्धारित राशि का भुगतान करने से है अतः विधायिका नें हिन्दी के उपरोक्त दोनों शब्दों के लिए अंगरेजी में tenant शब्द को अपनाया है। वे उक्त उत्तर से संतुष्ट नहीं हुए और बताया “……..दोनों शब्दों का अर्थ मकान/भूमि मालिक द्वारा बेगार खटवाने से है……..”। किरायेदार के रूप में मैंने अनुभव किया है कि बेगार खटवाने की बात गलत नहीं है। हालाँकि कि कुछ हद तक संगठित होने के कारण “व्यवसायिक किरायेदार” की स्थिति आवासीय किरायेदार से बेहतर है।
मैं दो उदाहरण के द्वारा अपना अनुभव सांझा कर रहा हूँ। 1998 में मैं विधि का छात्र। उस समय मैं 75 रुपया प्रतिमाह के किराया पर रहता था। मकान के मलिक द्वारा अचानक बताया गया कि अब अगले महीने से किराया प्रति माह 275 रुपया देना होगा। मैंने विरोध किया। नतीजा मुझे मकान खाली करना पड़ा।
उसके बात मैं एक अधिवक्ता के यहाँ किराया पर रहने लगा। मैं प्रतिदिन अपनी गाड़ी से उनको कोर्ट लें जाया करता था। मुझे नहीं मालूम था कि वे मुझसे बेगार खटवा रहे थे। वर्षों तक कोर्ट ले जाने के बाद एक दिन मैंने उनको गाड़ी में पेट्रोल भरवाने के लिए बोला तो वे नाराज हो गये। उसके दूसरे दिन मेरे एक क्लाइंट आयें। क्लाइंट ने अधिवक्ता मकान मलिक से पूछा, वकील साहब कहाँ है? मकान मालिक नें कहा, क्या बात है? मुझे उनसे मिलना है क्लाइंट बोले। यह बात मकान मालिक को बुरा लगा और मुझे मकान खाली करना पड़ा। मैंने अनुभव किया है कि आवासीय किरायेदार के लिए मकान मालीक का आदेश ही सबसे बड़ा कानून है। मकान मालिक के आदेश पर प्रश्न करने वाले किरायेदार को बदमाश किरायेदार कहा जाता है। समाज भी उनको अच्छे नजर से नहीं देखता है। मकान मालिक से विवाद करके कोई आवासीय किरायेदार शांति से नहीं रह सकता है। मकान मालिक से विरोध और मकान खाली करने के बीच का समय किरायेदार के लिए काफी तनावपूर्ण होता है।
मैं जब भी किराया देने जाता था, मन में एक बात जरूर आती थी कि मुझे किराया से मुक्ति कब मिलेगी। मैं “किराया मुक्ति दिवस” कब मनाऊँगा। मेरे अनुसार दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति के पास एक ऐसा मकान जरूर होना चाहिए, जीसे वह अपना कह सके। आज मेरी जिंदगी का महत्वपूर्ण दिन है। मैं आज बहुत खुश हूँ। वर्षों का सपना आज पूरा होने जा रहा है। आज की रात मैं अपने छत के नीचे बिताऊँगा। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि ऐसी खुशी प्रत्येक जरुरतमन्द व्यक्ति को दें।
✍दिलीप कुमार
(अधिवक्ता)
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