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अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत करने के लिए FIR दर्ज होना जरूरी नहीं है: – सर्वोच्च न्यायालय

Adv. Dilip Kumar by Adv. Dilip Kumar
August 16, 2021
in Judgement
0
Maintenance to a working lady with sufficient Salary Not permissible- SC
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THE SUPREME COURT OF INDIA
CRIMINAL APPELLATE JURISDICTION
SPECIAL LEAVE PETITION (CRIMINAL) Nos. 7281­-7282/2017

Sushila Aggarwal and others …Petitioners
Versus
State (NCT of Delhi) and another …Respondents

उपरोक्त मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय नें किसी मामलें में गिरफ़्तारी की आशंका वाले व्यक्ति को बहुत बड़ी राहत देते हुए कहा है कि अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत करने के लिए FIR दर्ज होना जरूरी नहीं है।

कानून में Anticipatory Bail नामक शब्द की कोई चर्चा नहीं है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के अनुसार “……….. जब किसी व्यक्ति को यह विश्वास करने का कारण है कि हो सकता है उसको किसी अजमानतीय अपराध किए जाने के अभियोग में गिरफ्तार किया जाए तो वह उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय में आवेदन कर सकता है उसे अग्रिम जमानत या Anticipatory Bail कहा जाता है…..”।

वर्ष 1974 में दंड प्रक्रिया लागू हुआ। तबसे आज तक सामान्य प्रैक्टिस है कि FIR दर्ज होने के बाद ही Anticipatory Bail Application File किया जाता  है। न्यायालय द्वारा एक निश्चित समय के भीतर न्यायालय में आत्मसमर्पण करने की शर्त या गिरफ्तार होने की शर्त पर अभियुक्त का अग्रिम जमानत आवेदन स्वीकार किया जाता रहा है। यानि Anticipatory Bail Application स्वीकार होने के बाद अभियुक्त को पुनः नियमित जमानत लेना एक कानूनी बाध्यता होती है। उपरोक्त मामलें में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दो महत्वपूर्ण प्रश्न विचार के लिए आया।

  1. धारा 438 के तहत दिया गया Protection क्या एक खास अवधि के लिए है? और एक निश्चित अवधि के भीतर न्यायालय में समर्पण करना जरूरी है?
  2. क्या न्यायालय द्वारा सम्मन करते ही अग्रिम जमानत की अवधि समाप्त हो जाती है?

न्यायालय नें 133 पेज के फैसला में कहा है कि अग्रिम जमानत में अवधि निश्चित नहीं किया जा सकता है। यानि किसी निश्चित अवधि के भीतर न्यायालय में समर्पण करने की बाध्यता समाप्त हो गई।

न्यायालय द्वारा सम्मन किए जाने पर भी अग्रिम जमानत की अवधि समाप्त नहीं हो सकती है। अग्रिम जमानत अंतिम विचारण तक (End of the Trial) continue रहेगा।

न्यायालय ने आगे व्यवस्था दिया कि अग्रिम जमानत आवेदन FIR दर्ज होने से पहले भी प्रस्तुत किया जा सकता है। (पेज संख्या 128)

For detail judgement kindly click link below: –

https://main.sci.gov.in/supremecourt/2017/28027/28027_2017_3_1501_20088_Order_29-Jan-2020.pdf

Adv. Dilip Kumar

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